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“शिवजी के द्वारा श्री रामचरितमानस का नामकरण: एक महत्वपूर्ण क्षण”(Ramcharitmanas was named)
तुलसीदास जी ने भगवान शिवजी की प्रेरणा से श्री रामचरितमानस की रचना की । भगवान शिवजी ने ही इस ग्रंथ की रचना कराई है, तुलसीदास जी कहते हैं –
रचि महेस निज मानस राखा। पाइ सुसमउ सिवा सन भाषा॥ तातें रामचरितमानस बर। धरेउ नाम हियँ हेरि हरषि हर॥ |
भगवान भोलेनाथ ने रामचरितमानस की रचना करके अपने मन में रखा और समय आने पर माता पार्वती को सुनाया। भगवान राम का वह चरित्र जो भगवान भोलेनाथ के मानस से निकला है, इसलिए इसका नाम श्री रामचरितमानस रखा गया।
मानस को यदि समझना है तो यह जानने का प्रयास करिए की कौन कह रहा है और
किससे कह रहा है । तुलसीदास जी ने मानस में बहुत कम कहा है। जब जब गोस्वामी जी ने कहा है एक ही बात कही है:-
“महा मंद मन सुख च हसी ऐसही प्रभहू विशाद” पूज्य गोस्वामीतुलसीदास जी जब भी बोलते हैं एक ही बात बोलते हैं। हे मंदमति भगवान की शरण में चल- भगवान की शरण में चल । गोस्वामी शरणागति घाट के वक्त है ।कैसे श्री रामचरितमानस में चार घाट बताएं हैं?
summary(सारांश)
भगवान भोलेनाथ की प्रेरणा से तुलसीदास ने ‘श्री रामचरितमानस’ की रचना की। भगवान शिवजी ने इस ग्रंथ की रचना की और उसे अपने मन में रखा। फिर वह ग्रंथ माता पार्वती को सुनाया, जिसका नाम ‘श्री रामचरितमानस’ रखा गया। यह भी कहा गया है कि तुलसीदास ने मानस में बहुत कम कहा है और उन्होंने शरणागति की महत्वपूर्ण बात को उजागर किया है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने इस ग्रंथ में चार घाटों का उल्लेख किया है।
Question and Qnswer(प्रश्न और उत्तर)
- श्री रामचरितमानस का नामकरण किसने किया था?
उत्तर: श्री रामचरितमानस का नामकरण तुलसीदास जी ने किया था, जो कि भगवान शिवजी की प्रेरणा से हुआ था।
2. श्री रामचरितमानस का नामकरण कैसे हुआ था?
उत्तर: भगवान भोलेनाथ ने श्री रामचरितमानस की रचना करके अपने मन में रखा और फिर समय आने पर माता पार्वती को सुनाया। इसलिए इस ग्रंथ का नाम ‘श्री रामचरितमानस’ रखा गया।
3. तुलसीदास जी ने ‘मानस’ में किस बारीकी से कुछ कहा था?
उत्तर: तुलसीदास जी ने ‘मानस’ में बहुत कम कहा था और वे शरणागति की महत्वपूर्ण बात को उजागर किया था। उन्होंने गोस्वामी शरणागति घाट के वक्त होने का उल्लेख किया है।