श्रीराम और सुग्रीव संवाद
बाली का वध करने का प्रण प्रभु श्री राम ने लिया। प्रभु श्री राम ने सुग्रीव जी से कहा, आप मेरे बल के भरोसे निश्चित हो जाइए मैं सब प्रकार से आपकी सहायता करूंगा।
तभी सुग्रीव जी कहते ,हैं आप में सिर्फ बल है। मेरा भाई बाली महाबलशाली है।सुग्रीव जी ने कहा, मैं आपकी परीक्षा लूंगा। प्रभु कहते हैं, कैसी परीक्षा लोगे।
सुग्रीव ने प्रभु श्री राम को दुंदुवी की अस्थियां और सातों तरफ सात ताड़ के वृक्ष दिखाएं और कहां, एक ही वान से सातों वृक्षों को गिराना है।
प्रभु ने एक वान चला कर सारे वृक्षों को गिरा दिया और प्रभु का वान तरकश में वापस आ गया। और दाहिने पैर के अंगूठे से दुंदुवी की अस्थियों को दूर फेक दिया।
सुग्रीव जी ने जब देखा कि प्रभु ने एक ही वान से सारे वृक्ष गिरा दिए। तो कहने लगे राम जी आप मे बल नहीं अमित बल है। और यह कह कर चरणों में बार-बार दंडवत करने लगे। और सुग्रीव को पूर्णता विश्वास हो गया की राम जी के अलावा बाली का वध कोई और नहीं कर सकता।
बाली का वध श्री राम के द्वारा
मध्य रात्रि को सुग्रीव ने बाली को ललकार। बाली ने सुग्रीव की ललकार सुनकर चला। तभी बाली की अर्धांगिनी तारा ने बाली के चरणों को पकड़ लिया। कहा प्रभु आज जीवन में मैं पहली बार आपको रोक रही हूं।
मैंने सुना है जिन्हें दो पुरुषों से सुग्रीव मिले हैं। वह दोनों इतने वीर हैं, की युद्ध में काल पर भी विजय प्राप्त कर सकते हैं। इसीलिए प्रभु आज आप मत जाइए मुझे भाई लग रहा है।
तभी बाली कहता है डरपोक तारा मैं राम जी के बारे में जानता हूं। वह सुग्रीव और मुझ में भेद नहीं करेंगे और अगर उन्होंने मुझे मार दिया तो मैं खुद को सनाथ समझुगा।
बाली चला सुग्रीव की ओर दोनों भिड़े और बाली ने एक मुष्टिका का प्रहार सुग्रीव के सिर पर किया। सुग्रीव को ऐसा लगा जैसे वज्रपात हो गया हो। सुग्रीव वहां से भागा और पहुचा प्रभु श्री राम के पास और कहता है प्रभु आपने उसे मारा क्यों नहीं।
वह मेरा भाई नहीं मेरा काल है। प्रभु श्री राम कहते हैं मैंने यह सोचा कि अगर आप अपने भाई के समक्ष जाएंगे तो आप दोनों का प्रेम जागृत हो जाएगा। सुग्रीव जी कहते हैं वह मेरा भाई नहीं मेरा काल है।
प्रभु आपने उसे मारा क्यों नहीं। तभी श्री राम उत्तर देते हैं आप दोनों दिखने में एक समान है। इसीलिए मैंने वान नहीं चलाया। तभी श्री राम अपनी माला उतार कर सुग्रीव जी को पहनते हैं।
और अपने हाथों से सुग्रीव जी के शरीर को छूकर वज्र का बना देते हैं। भेजा राम जी ने, दोनों युद्ध करने लगे। तभी सुग्रीव के ऊपर बाली मुष्टिका का प्रहार करने लगा।
सुग्रीव ने रघुनाथ जी का आवाज लगाइए और कहां बचाइए प्रभु। तभी रघुनाथ जी ने वाण चलाया और बाली के हृदय में वाण लगा। जैसे ही वाण लगा व्याकुल होकर बाली गिरा, फिर संभल कर बैठा और अपने समकक्ष क्रोध में प्रभु को दिखा।
तो मन ही मन चरणों को देखकर प्रणाम किया। बाली कहता है, अपने धर्म की रक्षा के लिए जन्म लिया है। राम जी धर्म कहता है पहले पक्ष की बात सुनी जाए फिर विपक्ष की बात।
अपने मेरी बात बिना सुने ही वाण चला दिया। आप किस प्रकार मुझे मारकर कौन से धर्म की रक्षा की है। मेरी किस अपराध के कारण आपने मुझे मारा है।
आपको बताना पड़ेगा राम जी। बाली तुमने अपने भाई की पत्नी को अपने पास रखा है। किस अपराध के कारण मैं तुम्हें मारा है। तुम्हें पता था की सुग्रीव मेरी शरण में है, फिर भी तुमने सुग्रीव से युद्ध किया, इसलिए मैंने तुम्हें मारा है।
प्रभु ने बाली का वध किया, और बाली को सद्गति प्रदान की। बाली का वध करने के बाद श्रीराम ने सुग्रीव को राजा और अंगद को युवराज बनाया। राम जी कहते हैं, मैंने मित्र आपका काम पूर्ण किया, अब आप मेरा काम करेगा।
मैं प्रदर्शन पर्वत पर चातुर्मास बताऊंगा तब तक आप वैदेही का पता लगा लीजिएगा।
Summary
श्रीराम ने सुग्रीव को बल के भरोसे कहा कि वह उसकी सहायता करेगा। सुग्रीव ने परीक्षा के रूप में श्रीराम से सात वृक्षों को गिराने का अनुरोध किया। श्रीराम ने यह काम किया और दुंदुवी की अस्थियों को दूर किया।
इसके बाद, श्रीराम ने बाली का वध किया। श्रीराम ने सुग्रीव को उनका राजा बनाया और वैदेही को ढूंढने का काम सौंपा।
Question and Answer
प्रश्न: सुग्रीव ने बाली का वध करने हेतु श्रीराम से कौन-कौन सी परीक्षा मांगी थी?
उत्तर: सुग्रीव ने श्रीराम से दुंदुवी की अस्थियां हटाने के लिए और सात वृक्ष गिराने के लिए परीक्षा मांगी थी।
प्रश्न: श्रीराम ने सुग्रीव को किसे ढूंढने का काम सौंपा?
उत्तर: श्रीराम ने सुग्रीव को वैदेही को ढूंढने का काम सौंपा था।
प्रश्न: बाली का वध करने के बाद श्रीराम ने किसे क्यों बनाया था?
उत्तर: बाली का वध करने के बाद, श्रीराम ने सुग्रीव को राजा बनाया था।