रावण द्वारा सीताजी का हरण

रावण और सूर्पनखा संवाद

सीताजी का हरण करने हेतु सर्पणखा रावण के पास शूर्पणखा पहुंची। सूर्पनखा कहती है दिन रात मदिरा पीकर सोते रहते हो। तुमको पता है तुम्हारा शत्रु तुम्हारे सिर पर बैठा है। दशानन बोला यह नाक कान कहां से कटवा कर आई हो।

रावण और सूर्पनखा संवाद

 

बोली दो राजकुमार आए हैं राम लक्ष्मण। राम के कहने पर लक्ष्मण ने काटा है। उनके साथ बहुत सुंदर स्त्री है। दशानन बोला मेरे पास क्यों आई हो, खरदूषण के पास क्यों नहीं गई। सूर्पनखा बोली गई थी, वह भी दोनों मारे गए।

रावण ने शूर्पणखा को उपचार के लिए भेजा एकांत में जाकर भजन करने लगा लेकिन तामसिक प्रकृति के कारण भजन नहीं कर पाया। तब युक्ति भिड़ाई कि मैं राम जी से युद्ध करूंगा। गया मारीच के पास।

सीताजी का हरण

भगवान ने एकांत पाकर कहते है, सीता जी जब तक मैं पृथ्वी से निशाचारों का अंत न कर दूं। तब तक आप अपनी छाया मेरे साथ रखिए, और आप अग्नि में प्रवेश कर लीजिए।

जैसे ही यह बात भगवान ने कही, सीताजी ने अपना प्रतिबिंब रख दिया और अग्नि में प्रवेश कर गई। दशानन ने मारीच की सहायता ली। मारीच ने स्वर्ण मृग का रूप धारण किया।

सीताजी का हरण

सीताजी ने जब स्वर्ण मृग को देखा तो राम जी के समक्ष उसे लाने की इच्छा प्रकट की। जब राम जी उसे मृग के पीछे भागे। उस समय लक्ष्मण जी सीताजी की रक्षा हेतु थे।

मारीच ने श्री राम की आवाज निकाल कर लक्ष्मण जी को आवाज़ लगाई। तभी सीता जी लक्ष्मण जी से कहती है की आप राम जी के पास जाइए। तभी लक्ष्मण जी एक रेखा को खींचकर राम जी के पास चले जाते हैं।

इधर रावण सीता जी के हरण के लिए आता है परंतु उसे रेखा को पार नहीं कर पाता। किसी तरह सीता जी को रेखा की इस और लाकर सीताजी का हरण कर लेता है। रास्ते में जटायु जी से रावण का युद्ध होता है।

तो रावण जटायु जी के दोनों पंखों को काट देता है। प्रभु आश्रम पहुंचे मां को आश्रम में न पाकर श्री राम ने बहुत विलाप किया। प्रभु को मार्ग में जटायु जी मिले उन्होंने पूरा वृतांत बताया और कहा कि रावण मां को दक्षिण दिशा की ओर लेकर गया है।

प्रभु श्री राम ने जटायु जी को सद्गति प्रदान की और उनके अंतिम क्रिया की और शबरी मैया के आश्रम पहुंचे।

Summary

 

रावण और सूर्पनखा के बीच एक चर्चा होती है। सूर्पनखा रावण से कहती हैं कि वह बहुत पीते हैं और उनके शत्रु उनके सिर पर हैं। रावण उनकी नाक और कान का मजाक उड़ाते हैं। फिर सूर्पनखा बताती हैं कि राम और लक्ष्मण आए थे, जिन्होंने उनकी नाक काटी थी। रावण उन्हें उपचार के लिए भेजते हैं।

फिर सीता का हरण होता है। भगवान राम ने सीता से कहा कि वह जब तक निशाचरों का संहार नहीं करते, तब तक वह अग्नि में रहें। सीता ने अग्नि में प्रवेश किया और रावण ने मारीच की सहायता ली। सीता जी ने जब स्वर्ण मृग को देखा , तो उन्होंने उसे लाने की इच्छा की। लक्ष्मण ने सीता की रक्षा के लिए खड़ी रेखा बनाई। रावण को रेखा पार करने में मुश्किल हुई, लेकिन उसने सीता को हर लिया।

रास्ते में जटायु ने रावण के साथ युद्ध किया, जिससे उसके पंख काट दिए गए। राम और लक्ष्मण ने उसकी मदद की और जटायु ने उन्हें बताया कि रावण दक्षिण दिशा में गया है। फिर राम ने उसे सद्गति प्रदान की और शबरी के आश्रम पहुंचे।

Question and Answer

प्रश्न 1: सूर्पनखा ने रावण को क्यों बताया कि राम और लक्ष्मण आए थे?
उत्तर: सूर्पनखा ने रावण को इसलिए बताया क्योंकि राम और लक्ष्मण ने उसकी नाक काटी थी।

प्रश्न 2 : सीताजी का हरण कैसे हुआ?

उत्तर: रावण ने मारीच की सहायता लेकर सीताजी को हरण लिया, जब वह स्वर्ण मृग के रूप में आया और राम की इच्छा पूरी करने के लिए सीता को लाने की इच्छा प्रकट की।

प्रश्न 3: जटायु और रावण के बीच हुआ युद्ध कैसे समाप्त हुआ?

उत्तर: जटायु ने रावण के साथ युद्ध किया और रावण ने उसके पंख काट दिए। राम और लक्ष्मण ने उसकी मदद की और जटायु ने उन्हें बताया कि रावण दक्षिण दिशा में गया है।

प्रश्न 4: राम और लक्ष्मण ने सीता को पाने के लिए क्या किया?

उत्तर: राम ने सीता को पाने की इच्छा प्रकट की और लक्ष्मण ने सीता की रक्षा के लिए खड़ी रेखा बनाई, जो रावण को रोकने में मदद की।

 

 

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