शबरी मैया और मतंग ऋषि संवाद
शबरी मैया का विवाह होने वाला था, एक खिड़की में से देखा तो बहुत सारे जानवर लाए गए थे। अपनी सखी से पूछी इतने सारे पशु क्यों लाए हैं। सखी ने कहा इन्हीं पशुओं का भोजन बनेगा तो बाराती भोजन करेंगे।
मैया सोचने लगी, इतने पशुओं की बलि देने से मेरा विवाह होगा। तो इसमें मेरा मंगल कैसे होगा। यह सोचकर घर से भाग गई और पहुंची मतंग ऋषि के पास और लगी सेवा करने हैं।
मातंग जी ने जाते समय कहा शबरी मेरा भाग्य तो नहीं था, कि मुझे राम का दर्शन मिले। लेकिन मैं तेरा भविष्य देख रहा हूं, राम एक दिन चलकर तेरे पास आएंगे तुझे दर्शन देने, प्रतीक्षा करना।
श्रीराम और शबरी मैया का प्रेम
वर्षों बीतने के बाद एक दिन शबरी ने देखा कि उसके द्वारा पर दो पुरुष आए हैं। गुरुजी की बात सोचने लगी गुरु जी ने पहचान के पांच लक्षण बताए थे। पहलि पहचान कमल की पंखुड़ियां की तरह प्रभु की आंखें होगी।
दूसरा राम जी की भुजाएं विशाल होगी। तीसरा सर पर जटाओं का मुकुट होगा। चौथ गले में बनमाल धारण किए हुए होंगे। पांचवा दो भाई आएंगे, जिसमें एक सांवले और एक गोरे होंगे। पहचान पूरी हुई।
मैया प्रभु के चरणों से लिपटकर बहुत रोई और आंसुओं से ही प्रभु के चरण धो दिए। मैया ने मीठे मीठे कंदमूल और फल का भगवान को भोग लगाया। प्रभु ने बड़े स्नेह से भोग को ग्रहण किया और प्रभु ने शबरी मैया को नौ प्रकार की भक्ति बताइ।
उसके पश्चात प्रभु ने सीता जी के बारे में पूछा, तो शबरी मैया कहते हैं। मुझे गुरुजी ने कहा है कि अगर राम जी आए, तो उन्हे कहना कि आप पंपास सरोवर के किनारे जाइए।
वहां आपकी सुग्रीव जी से मित्रता होगी वह आपका सारा काम करेंगे। उसके पश्चात मैया ने अपने दाहिने पैर के अंगूठे से योग अग्नि प्रज्वलित की और जलकर भस्म हो गई।
Summary
शबरी मैया को अपने विवाह की चिंता थी जब उन्होंने देखा कि उनके घर के बाराती भोजन के लिए बहुत सारे पशु लाए गए हैं। उन्होंने इससे अपने भविष्य की चिंता की और मतंग ऋषि के पास भाग गई।
मतंग ऋषि ने उन्हें श्रीराम के दर्शन की प्रतीक्षा करने की सलाह दी। वर्षों बाद शबरी ने पहचान के लक्षणों के अनुसार श्रीराम को पहचाना और उन्हें भगवान का भोग अर्पित किया।
श्रीराम ने उन्हें नौ प्रकार की भक्ति का ज्ञान दिया और सीता जी के बारे में पूछा। शबरी मैया ने उन्हें सुग्रीव के पास जाने की सलाह दी जहां से वे सीता जी से मिल सकते थे। उसके बाद उन्होंने अपने दाहिने पैर के अंगूठे से योग अग्नि को जलाया और भस्म हो गई।
Question and Answer
प्रश्न 1. शबरी ने अपने विवाह से पहले घर छोड़ा क्यों था?
उत्तर: शबरी ने इसलिए भागा क्योंकि उन्हें बहुत सारे जानवरों की बलि देने से चिंता थी और उन्हें डर था कि शादी से पहले यह काम शुभ नहीं होगा।
प्रश्न 2. मतंग ऋषि ने शबरी को कौनसी सलाह दी थी?
उत्तर: मतंग ऋषि ने शबरी को बताया कि वह श्रीराम के आगमन का इंतजार करे क्योंकि उन्हें पता था कि राम एक दिन उनके पास आएंगे।
प्रश्न 3. शबरी ने श्रीराम को कैसे पहचाना?
उत्तर: शबरी ने मतंग ऋषि की विवरणों के आधार पर श्रीराम को पहचाना, जैसे कि राम की आंखें कमल की पंखुड़ियों की तरह थीं, विशाल भुजाएं थीं, माथे पर जटाओं का मुकुट था, गले में माला थी, और दो भाईयों के साथ जो अलग-अलग रंगों के थे।
प्रश्न 4. शबरी ने श्रीराम से क्या सीखा?
उत्तर: शबरी ने श्रीराम से नौ प्रकार की भक्ति के बारे में ज्ञान प्राप्त किया।
प्रश्न 5. शबरी ने श्रीराम को उनकी मिशन में कैसे मदद की?
उत्तर:शबरी ने श्रीराम को सुग्रीव से मिलने के लिए मार्गदर्शन दिया और सीता जी को ढूंढने के लिए सुग्रीव से सहायता करने की सलाह दी।