समुद्र पर श्रीराम के द्वारा सेतु बंधन
सेतुबंध हेतु प्रभु श्री राम समुद्र के किनारे पहुंचे जहां रावण के भाई विभीषण आए। क्यों? क्योंकि रावण ने विभीषण को मारकर भगा दिया था। रावण ने विभीषण जी के साथ दो गुप्तचारो को भेजा सुख और सारंग को।
गुप्तचर वापस गए रावण के पास तो रावण ने पूछा कितनी सेना है। गुप्तचर बोले 18 पदम तो सिर्फ सेनापति है और बहुत विशाल सेना है। यह सुनकर रावण ने गुप्तचर को भी मारा।
दोनो प्रभु की शरण में गये और असुर प्रवृत्ति से मुक्त होकर अपने-अपने आश्रम गए। विभूषण जी ने कहा आप समुद्र से मार्ग मांगिए। प्रभु मार्ग मांगने के लिए एक फटिकशिला पर बैठे हैं।
मार्ग मांगते मांगते तीन दिन हुए प्रभु को आवेश आया। प्रभु ने अपना धनुष उठाया और उस पर वाण साध कर समुद्र की ओर चलाने लगे। तभी समुद्र देव प्रकट हुए और प्रभु से क्षमा याचना की।
समुद्र देव ने कहा प्रभु आपके पास दो कपी हैं जिनके हाथ के स्पर्श से पत्थर तैरेंगे और इस कार्य में मैं भी आपकी सहायता करूंगा, अपनी लहरों को शांत कर लूंगा।
नल नील के द्वारा पत्थरों पर राम नाम लिखकर सभी कवियों की सहायता से सेतु बंधन किया। और प्रभु श्री राम ने वहां पर एक शिवलिंग की स्थापना की जिसे रामेश्वरम कहते हैं।
सभी कपियो सहित प्रभु श्री राम ने समुद्र को पार किया और लंका के प्रवेश द्वार पर पहुंचे। अंगद जी को दुत बनाकर रावण के पास भेजा अंगद जी रावण के की सभा में पहुंचे।
और अपनी पूछ से स्वयं सिंहासन बनाकर उसे पर बैठ गए और रावण को चुनौती देते हैं। कि रावण तेरी मृत्यु निकट है अभी भी समय है प्रभु श्री राम की शरण में आ जा।
और सभी सभासदों को अंगद जी चुनौती देते हैं कि जो भी मेरे पैर को हिला देगा। तो मैं प्रभु श्री राम की तरफ से कहता हूं कि हम वापस लौट जाएंगे। सभी सभासदों ने बहुत प्रयास किया।
परंतु कोई भी अंगद जी का पैर नहीं हिला पाया। अंत में अंगद जी चुनौती देकर वापस प्रभु श्री राम के पास लौटे हैं। और प्रभु श्री राम और रावण का युद्ध हुआ।
Summary
श्रीराम समुद्र के किनारे पहुंचे, जहां रावण के भाई विभीषण थे। रावण ने उन्हें भगाया था, और उनके दो गुप्तचारों को भेजा था। गुप्तचारों ने बताया कि सेना बहुत बड़ी है, जिसे सुनकर रावण ने उन्हें भी मार दिया।
फिर श्रीराम और विभीषण ने समुद्र से मार्ग मांगा। तीन दिनों तक इसे मांगते हुए, श्रीराम ने धनुष उठाया और समुद्र की ओर वाण साध कर चलने लगे। समुद्र देव ने माफी मांगी और उन्हें मदद करने का वायदा किया। नल और नील की मदद से, श्रीराम ने सेतु बंधन किया और एक शिवलिंग स्थापित किया।
सेतु बंधन के बाद श्रीराम ने समुद्र को पार किया और लंका के प्रवेश द्वार पर पहुंचे। अंगद ने रावण को चुनौती दी, पर कोई भी उसके पैर को नहीं हिला पाया। आखिरकार, अंगद ने चुनौती वापस लेकर श्रीराम के पास लौटे।
Question and Answer
प्रश्न1: प्रभु श्रीराम और विभीषण ने समुद्र को पार करने के लिए क्या मांगा था?
उत्तर: वे समुद्र से मार्ग मांग रहे थे।
प्रश्न2: श्रीराम ने सेतु बंधन कैसे किया?
उत्तर: श्रीराम ने नल और नील की मदद से सेतु बंधन किया।
प्रश्न3: रावण को किसने चुनौती दी और उसे कैसे हराया गया?
उत्तर: अंगद ने रावण को चुनौती दी कि जो भी उसके पैर को हिलाएगा, वह प्रभु श्रीराम की तरफ लौटेगा। कोई भी उसके पैर को नहीं हिला पाया और अंत में अंगद ने चुनौती वापस ली और प्रभु श्रीराम के पास लौट गया।
प्रश्न3: समुद्र देव ने किस तरह समुद्र को शांत किया था?
उत्तर: समुद्र देव ने अपनी लहरों को शांत कर दिया था ताकि श्री राम समुद्र पर सेतु बंधन कर ले।