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श्री रामचरितमानस के 4 घाट

तुलसीदास रचित श्री रामचरितमानस में चार घाटों का वर्णन है हर घाट पर एक वक्ता और एक श्रोता है यहां पर हर वक्ता ने अपने-अपने भाव से भगवान श्री राम का चरित्र चित्रण किया है।

तुलसीदास रचित श्री रामचरितमानस

शरणागति घाट :-

यह घाट काशी जी का अस्सी घाट है इस घाट में गोस्वामी तुलसीदास जी वक्ता है और गंगा मैया, संत समाज और कोई नहीं तो स्वयं तुलसीदास जी का निज मन श्रोता है ” स्वांत: सुखाय तुलसी रघुनाथगाथा भाषानिबंधमतिमंजुलमातनोति॥”गोस्वामी जी बोले मैं आपको वह कथा सुनाऊंगा जो श्री याज्ञवल्क्य जी ने श्री भारद्वाज जी को प्रयागराज में सुनाई है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने भगवान के शरण में जाने की बात कही है इसीलिए इस घाट को शरणागति घाट कहा गया है।

श्री रामचरितमानस कर्मकांड घाट

कर्मकांड घाट :-

इस घाट के वक्ता है श्री याज्ञवल्क्य और श्रोता है श्री भारद्वाज जी और स्थान है तीर्थराज प्रयाग इसे कर्मकांड घाट कहा गया है श्री रामचरितमानस  के अनुसार कर्म कैसा होना चाहिए यह बात याज्ञवल्क्य जी ने भारद्वाज जी को बताइए है। याज्ञवल्क्य जी बोले मुनिवर मैं आपको वह कथा सुनाऊंगा जो कैलाश में भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाई है।

श्री रामचरितमानस ज्ञान घाट

ज्ञान घाट :-

इस घाट में वक्ता है भगवान शिव और श्रोता है माता पार्वती, स्थान है कैलाश पर्वत। इस घाट में बाबा ने माता को सारी ज्ञान की बातें बताई है इसलिए इसे ज्ञान घाट कहा गया है। शंकर जी कहते हैं- “उमा कहउँ मैं अनुभव अपना। सत हरि भजनु जगत सब सपना।।” श्री रामचरितमानस  में जितनी भी ज्ञान की बातें हैं वह भगवान ने कैलाश पर कही है। भगवान ने कहा मैं आपको वह कथा सुनाऊंगा जो कागभूसुंडी जी ने पक्षीराज गरुड़ जी को नीलगिरी पर्वत पर सुनाई है।

श्री रामचरित मानस भक्ति घाट

भक्ति घाट :-

इस घाट में वक्ता है श्री काग भूसुंडी जी और श्रोता है श्री गरुड़ जी और उनके साथ नाना प्रकार के पक्षी हैं। श्री रामचरितमानस जी में ऐसा लिखा है, झुंड के झुंड पक्षी कागभूसुंडी सरोवर में आए।आज भी हिमालय में काग भूसुंडी  सरोवर है, और कागभुसुंडि जी आज भी कथा सुनाते हैं और नाना प्रकार के पंछी कथा सुनते हैं। श्री रामचरितमानस में तुलसीदास जी वर्णन करते हैं कि काग भूसुंडी जी को कैसे श्राप मिला और क्यों ?

  Summary(सारांश)

“तुलसीदास के ‘श्रीरामचरितमानस’ में चार घाटों का वर्णन है। प्रत्येक घाट पर एक वक्ता और एक श्रोता होते हैं, जो भगवान श्रीराम के चरित्र को चित्रण करते हैं। शरणागति घाट पर गोस्वामी तुलसीदास वक्ता है, कर्मकांड घाट पर श्री याज्ञवल्क्य, ज्ञान घाट पर भगवान शिव, और भक्ति घाट पर श्री कागभूसुंडी वक्ता होते हैं। इन घाटों में भगवान के चरित्र और भक्ति के महत्व का विवेचन होता है। इनमें से प्रत्येक घाट का अपना विशेष महत्व होता है और वह भगवान के भक्तों को मार्गदर्शन करते हैं।”

Question and answer(प्रश्न और उत्तर)

प्रश्न: शरणागति घाट में किसे वक्ता और श्रोता के रूप में प्रस्तुत किया गया है?

उत्तर: शरणागति घाट में गोस्वामी तुलसीदास वक्ता होते हैं और श्रोता गंगा मैया, संत समाज और उनका निजी मन होता है।

प्रश्न: कर्मकांड घाट का मुख्य संदेश क्या है और यह किस घाट पर है?

उत्तर: कर्मकांड घाट का मुख्य संदेश है कर्म का महत्व और कैसे कर्म करना चाहिए। इस घाट पर श्री याज्ञवल्क्य वक्ता होते हैं और श्री भारद्वाज जी उनके श्रोता होते हैं।

प्रश्न: ज्ञान घाट क्यों कहलाता है और इसमें कौन वक्ता और श्रोता होते हैं?

उत्तर: ज्ञान घाट को इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें भगवान शिव वक्ता होते हैं और उनका श्रोता माता पार्वती होती है। यहां भगवान शिव ज्ञान की महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।

प्रश्न: भक्ति घाट के वक्ता और श्रोता कौन होते हैं और क्या कथा सुनाई जाती है?

उत्तर: भक्ति घाट में वक्ता काग भूसुंडी जी होते हैं और श्रोता श्री गरुड़ जी होते हैं, जिनके साथ नाना प्रकार के पक्षी होते हैं। इस घाट में काग भूसुंडी जी की कथा सुनाई जाती है।

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