श्रीराम का मिथिला प्रवेश

मिथिला नगर भ्रमण

मिथिला में धनुष यज्ञ देखने के लिए विश्वामित्र जी ने राम जी और लक्ष्मण जी के साथ मिथिला में प्रवेश किया है। विश्वामित्र जी ने एक आम का वृक्ष देखकर विश्राम के लिए दोनों भाइयों को कहा।

जनक जी को पता चला विश्वामित्र जी के बारे में तो जाकर चरणों में दंडवत किया है। और राम जी और लक्ष्मण जी का परिचय कराया और उसी प्रकार से रामजी लक्ष्मण जी को उचित स्थान और सदन प्रदान किया है।

कुछ देर विश्राम करने के पश्चात गुरुदेव से चर्चा हुई। तभी लक्ष्मण जी के मन में भाव आया- लखन हृदयँ लालसा बिसेषी। जाइ जनकपुर आइअ देखी॥ प्रभु भय बहुरि मुनिहि सकुचाहीं। प्रगट न कहहिं मनहिं मुसुकाहीं॥

यदि अनुमति प्राप्त हो जाती तो हम मिथिला घूम कर आ जाते। मिथिला के सभी वासियों को पता चला की दो बहुत सुंदर राजकुमार मिथिला में आए हैं। यह सुनकर सभी की मति हीरा गई।

मिथिला वासियों ने सोचा कितने सुंदर होंगे दोनों भाई, क्या हमारी किस्मत में दोनों का दर्शन है। रघुनाथ जी लक्ष्मण जी के मन की बात जान गए और राम जी ने गुरुदेव से अनुमति मांगी।

गुरु जी ने अनुमति दी पूरे मिथिला में खबर फैल गई दोनों भाई नगर देखने आ रहे हैं। सभी पुरुषों ने के बाहर की ओर जाकर दर्शन किए। वहीं महिलाओं ने घर के झरोखों से झांक कर भगवान के दर्शन किए।

मां जानकी की सभी सखियां आपस में चर्चा कर रही हैं। सभी ने अपने-अपने भाव से भगवान के सुंदरता का वर्णन किया। तभी एक सखी कहती है इनमें जो सांवले वाले हैं, यह उचित बर होंगे।

तभी एक सखी बोलती है। कितने छोटे हैं यह कैसे धनुष तोड़ेंगे। तभी एक सखी बोलती है। छोटे हैं तो क्या हुआ उनके चमत्कार बड़े-बड़े हैं। इन्होंने एक ही बार में ताड़का राक्षसी को मार दिया।तो क्या वह शिवजी का पीनाग नहीं तोड़ सकते है क्या।

मिथिला नगर भ्रमण

दोनों भाई नगर भ्रमण के बाद गुरु जी के पास पहुंचे। रात्रि में संध्या आरती भोजन के बाद गुरुदेव भगवान सोने गए तो दोनों भाइयों ने गुरुदेव के पैरों की सेवा की।

फिर गुरुदेव ने दोनों भाइयों को सोने की आज्ञा दी। राम जी सोने गए तो लक्ष्मण जी ने राम जी के चरणों की सेवा की है। भगवान ने लक्ष्मण जी को सोने की आज्ञा दी। लक्ष्मण जी राम जी के पैर दबाते दबाते ही सो गए।

सुबह हुई और लक्ष्मण जी जागे फिर प्रभु श्री राम जागे और दोनों भाई गुरु जी के पास गए। सेवा की तो गुरुजी जागे। राम जी ने गुरुजी से पुष्प दल लाने की आज्ञा मांगी। गए पुष्प दल लेने मिथिला की वाटिका में पहुंचे।

बाग में दिव्या-दिव्या वृक्ष है। पक्षियों की मधुर मधुर आवाज सुनाई दे रही हैं। तालाब में पानी मनियो के समान चमक रहा है। भगवान ने मालियों से पुष्पदल के लिए अनुमति मांगी और पुष्प दल लेने लगे।

सीता जी की मां ने सीता जी को पूजा के लिए भेजा है। माता सखियों के साथ बाग में पूजा के लिए आई। माता ने बड़े अनुराग से मा गिरिजा जी की पूजा की है। एक सखी ने दोनों भाइयों को पुष्प चुनते देखा।

मिथिला नगर भ्रमण

सखी गई माता सीता के पास और सारा हाल सुनाया। वह सीताजी सहित सभी सखियों के साथ राम जी को देखने चली। माता सीता के आभूषण बजने लगे। राम जी ने माता सीता को दिखा और टक – टककी लग गई।

राम जी ने कहा भाई यह वही जनक जी की लड़की है। जिनके लिए धनुष यज्ञ हो रहा है। मुझे लगता है यह सखियों के साथ पार्वती जी की पूजा के लिए आई है। एक सखी ने सीता जी को श्री राम जी के दर्शन कराए।

और फिर सारी सखियां माता के साथ वहां से चली गई। और गई पार्वती जी के पास और स्तुति करने लगी। मां पार्वती ने अपने गले की माला को गिरकर सीता जी को आशीर्वाद दिया।

मन में जो रचा है वही बर मिलेगा। वह करुणा निधान है, सज्जन है, आपके प्रेम को पहचानते हैं और फिर सीता जी अपने भवन की ओर चली गई। इधर राम जी ने वाटिका में हुई सारी बातें गुरुदेव को बताई।

गुरुदेव ने आशीर्वाद दिया। आपकी सारी मनोकामना पूर्ण हो। दूसरे दिन धनुष यज्ञ का दिन आया। 

Summary

मिथिला के रोमांचक और महत्त्वपूर्ण स्थलों का वर्णन है, जैसे कि धनुष यज्ञ का स्थल और विशेषता। यहां पर राम और लक्ष्मण के द्वारा उस घटना का अनुभव कैसे किया गया।

और उनकी यात्रा के दौरान उनके अनोखे अनुभवों का विवरण भी दिया गया है। इसके साथ ही, मिथिला की सांस्कृतिक विविधता और धनुष यज्ञ के परिप्रेक्ष्य में समाज की उमंग और उत्साह की भावना भी व्यक्त की गई है।

Question and Answer

1. विश्वामित्र जी और राम जी ने मिथिला नगर में धनुष यज्ञ के बारे में क्या जानकारी प्राप्त की थी?

जब विश्वामित्र जी और राम जी मिथिला नगर में थे, तो वहां धनुष यज्ञ के बारे में जानकारी प्राप्त की थी जो जनक राजा द्वारा आयोजित किया गया था।

2. कौन-कौन से घटनाएं विश्वामित्र जी और राम जी ने मिथिला नगर में सुनी थीं?

विश्वामित्र जी और राम जी ने मिथिला नगर में पहुंचकर राजा जनक से मिलन किया और धनुष यज्ञ की घटना से जुड़ी कथाएं सुनी।

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