Ram Mandir Donation: भक्तों का दान के माध्यम से आत्मसमर्पण
Ram Mandir Donation: भक्तों का दान और दर्शन का चढ़ावा Ram Mandir Donation: राम मंदिर के लिए दान करने में भक्तों ने बड़ा योगदान दिया है। राम मंदिर में भक्तों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है और दान करने वालों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। पिछले दो दिनों में मिलियन रुपये के दान किए गए हैं। यह चढ़ावा 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या की ओर आए भक्तों के लिए है। पिछले दो दिनों में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के तत्वावधान में 18 लाख 50 हजार रुपये का दान आया है। इसमें 6 फरवरी को 8.50 लाख रुपये और 7 फरवरी को 10 लाख रुपये का दान शामिल है। सबसे अधिक दान प्राण प्रतिष्ठा के दिन हुआ था, जब भक्तों ने 3.17 करोड़ रुपये का दान किया। 22 जनवरी के बाद से राम मंदिर दर्शन के लिए भारी संख्या में लोग आ रहे हैं। 11 दिनों में राम मंदिर के लिए 11 करोड़ रुपये से ज्यादा का दान आया है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुताबिक, इन दिनों करीब 25 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आए हैं। राम मंदिर ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता के अनुसार, हर दिन दर्शन के लिए 2 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। दान की गिनती सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में की जाती है। Question and Answer प्रश्न 1: क्या राम मंदिर में दान करना आवश्यक है? उत्तर: राम मंदिर में दान करना केवल आवश्यक नहीं है, बल्कि यह एक श्रेष्ठ अवसर है जिसमें भगवान की सेवा और धर्म के प्रति समर्पण का अद्वितीय अनुभव होता है। यह दान आपके मन को शुद्ध करता है और आपको संतुष्टि और आनंद प्रदान करता है। प्रश्न 2: राम मंदिर में दान किस प्रकार किया जा सकता है? उत्तर: राम मंदिर में दान किए जाने के कई तरीके हैं। आप नकद या चेक के माध्यम से दान कर सकते हैं, या आप ऑनलाइन दान के लिए भी विकल्प उपलब्ध हैं। आप अपनी इच्छानुसार किसी भी तरीके से दान कर सकते हैं।
राम मंदिर: रामलला को आराम की जरूरत, अयोध्या में भारी भीड़ के बीच ट्रस्ट का बयान
राम मंदिर: ट्रस्ट का बयान रामलला को आराम की जरूरत राम मंदिर: अयोध्या राम मंदिर के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर में हर दिन 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा के बाद लगभग 14 घंटे तक दर्शन की व्यवस्था होती है, लेकिन कई लोगों का मानना है कि बच्चे के रूप में पूजे जाने वाले भगवान राम को भी ठीक से विश्राम की आवश्यकता है। चंपत राय ने इंदौर में गुरुवार देर रात कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने मंदिर में हर रोज लगभग एक लाख लोग आ रहे हैं और 24 जनवरी के बाद से दर्शन की व्यवस्था चल रही है। न्यास के महासचिव ने कहा कि मंदिर के ऊपरी तलों, आयताकार परकोटे और इस परिसर के अन्य देवालयों का निर्माण अभी बाकी है और मंदिर का सारा काम संभवतः वर्ष 2025 के मध्य या 2025 की समाप्ति तक पूरा होने का अनुमान है। राय ने कहा, “हम सुनिश्चित करेंगे कि मंदिर के शेष निर्माण कार्य और श्रद्धालुओं द्वारा भगवान के दर्शन में कोई भी बाधा न हो। हम इंजीनियरों के साथ बैठेंगे और सोच-समझकर फैसला करेंगे।” उन्होंने कहा कि अयोध्या में बड़ी तादाद में आ रही गाड़ियों की पार्किंग और श्रद्धालुओं के लिए किफायती किराये वाली जगहों का इंतजाम किया जाना बेहद आवश्यक है। चंपत राय, विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष, ने वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के कानूनी मसले में आ रहे मोड़ों के बारे में पूछे जाने पर कहा, “मैं इस विषय में अभी कुछ भी नहीं सोचता। मेरी दृष्टि बहुत स्पष्ट है। मैं समाज के किसी भी व्यक्ति की भावनाओं को चोट नहीं पहुंचा रहा हूं लेकिन दोपहर का खाना जब पच जाए, तब शाम को भोजन करना चाहिए, वरना कुपच हो जाता है। मैं समाज से कहूंगा कि अभी एक चीज को पूरी तरह स्थापित होने दो। बहुत अधिक जोश में बोलना और किसी काम को शांति से पूर्ण करना, इन दोनों बातों में बहुत अंतर है।” Question and Answer 1. मंदिर में दर्शन की समय सीमा क्या है? उत्तर: मंदिर में दर्शन का समय सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक है। 2. दर्शन के लिए पास या टिकट की आवश्यकता है? उत्तर: नहीं, मंदिर में दर्शन के लिए कोई पास या टिकट की आवश्यकता नहीं है। यह विश्राम और शांति का स्थान है, जो सभी लोगों के लिए खुला है। 3. मंदिर के पास पार्किंग की सुविधा है? उत्तर: हां, मंदिर के पास पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है। यह आसानी से आगंतुकों को मंदिर तक पहुंचने में मदद करता है। 4. मंदिर में भोजन की सुविधा है? उत्तर: हां, मंदिर में भोजन की सुविधा उपलब्ध है। यहां आप प्रसाद का आनंद ले सकते हैं और अपने भोजन का आनंदित अनुभव कर सकते हैं। 5. क्या मंदिर में स्थानीय दिव्यंग व्यक्तियों के लिए विशेष सुविधाएँ हैं? उत्तर: हां, मंदिर में स्थानीय दिव्यंग व्यक्तियों के लिए विशेष सुविधाएँ हैं। उन्हें मंदिर के दर्शन के लिए अलग से सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
अयोध्या राम मंदिर: चार प्रशिक्षित पुजारियों की नयी नियुक्ति, पूजा-पाठ आरंभ
अयोध्या राम मंदिर: नए प्रशिक्षित पुजारियों की नियुक्ति अयोध्या राम मंदिर: रामजन्मभूमि मंदिर परिसर में भक्तों की सुविधा का प्रबंध होने लगा है। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामलला की सेवा में चार प्रशिक्षित पुजारियों की नियुक्ति की है। ये पुराने पुजारियों की सहायता करेंगे और प्रातः और सायंकाल मंदिर में उपस्थित रहेंगे। प्रशिक्षित पुजारियों ने पूजा-पाठ का आरंभ किया है। नित्य रामलला के दर्शन करने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है। इसे देखते हुए रामजन्मभूमि मंदिर परिसर में भक्तों की सुविधा का प्रबंध किया जा रहा है। साथ ही, श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने चार प्रशिक्षित पुजारियों की नियुक्ति की है। इन्हें लगभग ढाई माह से रामकोट स्थित रंग वाटिका में प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन्हें सहायक पुजारी के रूप में तैनात किया गया है। गुरुवार को सुबह और सायंकाल को सभी मंदिर में उपस्थित रहे और नित्य वाल्मीकि रामायण का पाठ करेंगे। पांच पुराने पुजारियों को रामलला की सेवा और पूजा-पाठ का दायित्व संभालने का कार्य सौंपा गया है। प्राण प्रतिष्ठा के पहले ही ट्रस्ट की उप समिति ने प्रशिक्षण के लिए आचार्यों से आवेदन किया था, जिसके बाद चार नए पुजारियों का चयन किया गया। Question and answer नए पुजारियों का चयन कैसे किया गया? नए पुजारियों का चयन उनकी योग्यता और अनुभव के आधार पर किया गया। उन्हें ढाई माह के प्रशिक्षण के लिए चयनित किया गया और फिर रामकोट स्थित रंग वाटिका में प्रशिक्षित किया गया। नए पुजारियों की कार्यक्षमता पर विश्वास कैसे किया जा सकता है? नए पुजारियों को प्रशिक्षित किया गया है और उन्हें अनुभवी पुजारियों की मार्गदर्शन दी गई है। इसके अलावा, उनकी प्रदर्शनी की जाएगी और उनके कार्य में सुधार किया जाएगा। क्या इन नए पुजारियों का अनुभव है? हां, इन नए पुजारियों को प्रशिक्षण के दौरान व्यापक अनुभव दिया गया है और उन्हें पूरी तरह से तैयार किया गया है। इसके अलावा, उन्हें प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व भी विशेष तौर पर तैयार किया गया है।
Shri Ram Janmbhoomi: सुग्रीव, क्षीर सागर और अवध आगमन…राम नवमी से पहले अयोध्या में 2 कॉरिडोर हो जाएंगे।
Shri Ram Janmbhoomi: नवमी से पहले दो कॉरिडोरों की शुरुआ Shri Ram Janmbhoomi: अयोध्या शहर में चमक रही है। योगी सरकार ने अयोध्या पर पूरा ध्यान दिया है। विधानसभा में पेश हुए बजट में भी अयोध्या को बड़ा महत्व दिया गया है। राम मंदिर के उद्घाटन के बाद, लगातार भक्तों की भीड़ अयोध्या में बढ़ रही है। इस बढ़ती भक्तों की संख्या को देखते हुए, योगी सरकार ने राम नवमी से पहले, 15 अप्रैल को, 2 कॉरिडोरों को चालू करने का निर्णय लिया है। क्षीर सागर पथ और सुग्रीव पथ को प्राथमिकता दी गई है, जिन्हें क्रमशः अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन को राम पथ और हनुमान गढ़ी को जन्मभूमि पथ से जोड़ने के लिए बनाया जा रहा है। यूपी सरकार अयोध्या में तीन कॉरिडोर बना रही है। इसके लिए 49 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। सुग्रीव पथ 12 करोड़ रुपए से बनाया जा रहा है। क्षीर सागर पथ को 20 करोड़ रुपए से बनाया जा रहा है। वहीं, अवध आगमन पथ तीसरा कॉरिडोर है, जो 300 मीटर से अधिक लंबा होगा। यह रेलवे रोड और राम पथ को जोड़ेगा। इसका उपयोग त्योहारों और दीपोत्सव जैसे समारोहों के लिए वैकल्पिक मार्ग के रूप में किया जा रहा है। इसके लिए 17 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी ने बताया कि क्षीर सागर पथ के 21 मीटर चौड़ा होगा। साथ ही, 15 मीटर एक कैरिजवे रोड विकसित किया जाएगा। क्षीर सागर पथ के निर्माण के लिए आधा दर्जन आश्रमों और धर्मशालाओं के साथ 23 निजी भवनों और 38 दुकानों को तोड़ा जाएगा। प्रशासन ने कुछ परिवारों की पहचान जानने के बाद उन्हें मुआवजा भी दे दिया है। अयोध्या मंडल के आयुक्त गौरव दयाल ने कहा कि श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालने के लिए नए कॉरिडोरों की जरूरत है। मोटर वाहनों की आवाजाही को सुव्यवस्थित करने के लिए यातायात नियम और परिवर्तन लागू किए जाएंगे। एक बार जब कॉरिडोर और सड़क के हिस्से भीड़ को संभालने के लिए तैयार हो जाएंगे तो राम मंदिर के नजदीक राम पथ पर ड्रॉप ऑफ पॉइंट निर्धारित करना संभव होगा। क्षीर सागर पथ और सुग्रीव पथ दोनों महत्वपूर्ण हैं और इन पर काम तेज कर दिया गया है। Question and answer क्या अयोध्या में कॉरिडोरों का निर्माण क्यों किया जा रहा है? योगी सरकार ने राम नवमी से पहले अयोध्या में भक्तों की सुविधा के लिए 2 कॉरिडोरों का निर्माण करने का निर्णय लिया है। इसका मुख्य उद्देश्य भक्तों को मंदिरों और पर्यटन स्थलों तक सुरक्षित और सरल रास्ता प्रदान करना है। कौन-कौन से कॉरिडोर बना रहे हैं और कितना खर्च हो रहा है? दोनों कॉरिडोर के नाम क्षीर सागर पथ और सुग्रीव पथ हैं। इनका निर्माण करीब 49 करोड़ रुपये में किया जा रहा है। क्या अयोध्या में इन कॉरिडोरों का क्या महत्व है? ये कॉरिडोर भक्तों को मंदिरों और धार्मिक स्थलों तक पहुँचने में सहायक होंगे और साथ ही पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा देंगे। क्या निर्माण के दौरान आपराधिक मामलों का क्या ध्यान रखा गया है? हां, सुरक्षा उपायों के लिए निर्माण क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कॉरिडोर का निर्माण कब तक पूरा होगा? योगी सरकार का लक्ष्य है कि राम नवमी से पहले ही इन कॉरिडोरों का निर्माण पूरा हो जाए।
अयोध्या: राम मंदिर के निर्माण कार्य में तेजी की तैयारी
अयोध्या: राम मंदिर के दूसरे मंजिल का निर्माण मार्च से शुरू होगा अयोध्या: राम मंदिर का दूसरा मंजिल काम मार्च से शुरू होगा, प्रथम मंजिल का 85 फीसदी काम पूरा हो गया है। पूर्ण प्रतिष्ठा समारोह के कारण 15 जनवरी से मंदिर निर्माण का कार्य ठप हो गया था, लेकिन अब कार्य फिर से शुरू होने की तैयारी है। राम मंदिर के उद्घाटन के बाद, शनिवार को राम मंदिर निर्माण समिति की पहली बैठक होगी। समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र शुक्रवार को अयोध्या एयरपोर्ट पर पहुंचे। पहली मंजिल के 85 फीसदी काम पूरा हो चुका है, जबकि दूसरे मंजिल का काम मार्च से शुरू होगा। प्रतिष्ठा समारोह के बाद, मंदिर निर्माण का कार्य फिर से गति पकड़ने की तैयारी है। नृपेंद्र मिश्र ने शुक्रवार को राम जन्मभूमि परिसर का निरीक्षण किया। उन्होंने सबसे पहले तीर्थ यात्री सुविधा केंद्र के निर्माण की प्रगति की। तीर्थ यात्री सुविधा केंद्र के पहले मंजिल का काम अभी भी शेष है, जिसमें लिफ्ट भी लगाई जाएगी। इसमें करीब छह हजार लॉकर भी लगाए जाएंगे। राम मंदिर के पहले मंजिल का शेष 15 फीसदी काम मार्च तक पूरा किया जाएगा, फिर दूसरे मंजिल का काम शुरू होगा। दूसरे मंजिल का काम दिसंबर तक पूरा किया जाने का लक्ष्य है। समिति के अध्यक्ष ने राम जन्मभूमि पथ पर लगाए गए सुरक्षा उपकरणों की जाँच की। उन्होंने सभी अपडेटेड उपकरणों को 15 दिन के भीतर इंस्टॉल करने का निर्देश दिया। इस दौरान राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव, ट्रस्टी, और कार्यदायी संस्था के इंजीनियर भी मौजूद थे। Question and Answer प्रश्न 1: मंदिर निर्माण के कार्य क्यों रोके गए थे? उत्तर: मंदिर के पूर्ण प्रतिष्ठा समारोह के कारण, 15 जनवरी से मंदिर निर्माण के कार्य ठप हो गए थे। प्रश्न 2: क्या मंदिर निर्माण के कार्य फिर से शुरू हो रहे हैं? उत्तर: हां, अब मंदिर निर्माण के कार्य फिर से शुरू हो रहे हैं और तेजी से प्रगति हो रही है। प्रश्न 3: उपकरणों की स्थिति क्या है? उत्तर: सुरक्षा उपकरणों की स्थिति समीक्षा की गई है और उनकी ताजगी सुनिश्चित की गई है। बाकी उपकरणों को 15 दिनों के भीतर स्थापित किया जाएगा। प्रश्न 4: मंदिर के निर्माण में कितनी मंजिलें हैं? उत्तर: मंदिर में दो मंजिलें हैं। पहली मंजिल का काम पूरा हो चुका है, जबकि दूसरी मंजिल का काम मार्च से शुरू होगा। प्रश्न 5: काम कैसे संगठित किया जा रहा है? उत्तर: अब दिन और रात के काम की व्यवस्था की गई है। यात्री के प्रवास क्षेत्र में काम दिन में किया जाएगा, जबकि दर्शनार्थी के क्षेत्र में काम रात में किया जाएगा।
अयोध्या मंदिर: नए द्वार और संग्रहालय की योजनाएँ
अयोध्या मंदिर: चार नए द्वार और अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय की योजनाएँ और मंथन अयोध्या मंदिर: अयोध्या में राम मंदिर के चारों ओर नए द्वार बनाए जाएंगे, जिनमें मुख्य द्वार रामजन्मभूमि पथ पर होगा। इसके साथ ही, रामकथा संग्रहालय को अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय बनाने की योजना बनाई जा रही है, जो दिसंबर तक पूरी होगी। मंदिर में प्रवेश का मुख्य द्वार जन्मभूमि पथ पर होगा, लेकिन इसके अलावा चारों दिशाओं में अलग-अलग चार द्वार बनाए जाएंगे। इस योजना को भवन निर्माण समिति के अनुमोदन के बाद हरीझंडी दे दी गई है। यूपीआरएनएन को इस परियोजना का जिम्मा सौंपा गया है। उनके अभियंता स्थानों की नाप-जोख के साथ आगणन तैयार करेंगे और डिजाइन प्रस्तुत करेंगे। डिजाइन को स्वीकृति मिलने के बाद निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी। रामकथा संग्रहालय को विकसित करने की योजना भी बनाई जा रही है, जो दुनिया के खूबसूरत संग्रहालयों में से एक बनने की उम्मीद है। इसमें भगवान राम के अतिरिक्त अयोध्या की विशेषताओं को प्रदर्शित किया जाएगा। इसका मास्टर प्लान तैयार करने का दायित्व राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली के चीफ क्यूरेटर को सौंपा गया है। निर्माण के दौरान निगरानी हर 15 दिवस में भवन निर्माण समिति की ओर से की जाएगी। Question and answer 1. मंदिर के नए द्वार कहाँ होंगे? अयोध्या मंदिर में चार नए द्वार बनाए जाएंगे, जिनमें मुख्य द्वार रामजन्मभूमि पथ पर स्थित होगा। 2. कौन संगठन मंदिर के नए द्वारों की योजना बना रहा है? यह योजना भवन निर्माण समिति और उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) द्वारा बनाई जा रही है। 3. मंदिर के संग्रहालय का उद्देश्य क्या है? संग्रहालय का मुख्य उद्देश्य भगवान राम और अयोध्या की विशेषताओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करना है। 4. संग्रहालय का निर्माण कब पूरा होगा? निर्माण की प्रक्रिया दिसंबर 2024 तक पूरी होने की उम्मीद है। 5. नए द्वारों का निर्माण किस दिशा में किया जा रहा है? नए द्वारों का निर्माण भिन्न-भिन्न दिशाओं में किया जा रहा है, ताकि मंदिर का प्रवेश बढ़ाया जा सके।
राम मंदिर निर्माण: ‘राम दरबार’ का निर्माण तेजी से बढ़ रहा है। मंदिर समिति ने तय किया है कि रामनवमी तक भक्तों को सभी सुविधाएं मिलेंगी जो यात्रा से जुड़ी हैं।
राम मंदिर निर्माण: निर्माण की गति में बढ़ोत्तरी और सुधार की योजनाएं राम मंदिर निर्माण: श्रीराम मंदिर के ट्रस्टी, डॉ. अनिल मिश्र, ने बताया कि परिसर की सभी सड़कों का निर्माण, प्रकाश व्यवस्था, और सुरक्षा उपकरणों की लगाई जाने वाली व्यवस्था, तीर्थ यात्री सुविधा केंद्र का बाकी काम, यह सब रामनवमी से पहले पूरा किया जाएगा। परिसर की सफाई के लिए एक कंपनी को ठेका है और उसमें 50 कर्मचारी रोज़ाना सफाई का काम कर रहे हैं। श्रीराम मंदिर निर्माण समिति की दो-दिवसीय बैठक में मंदिर के निर्माण कार्यों की गति को बढ़ाने पर चर्चा की गई है। रामनवमी तक यात्री सुविधाओं को विकसित करने के लिए बचे हुए कामों को पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है और शेष काम भी रामनवमी तक पूरा किया जाएगा। मंदिर के परिसर में 795 मीटर लंबे परकोटे का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसके साथ ही, सप्त मंडपम में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और माता अहिल्या के मंदिर भी बनाए जा रहे हैं। बैठक में सप्त मंडल के काम की तीव्रता पर भी चर्चा हुई है और शीघ्र ही इसकी शुरुआत होगी। राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष ने बताया कि राम जन्मभूमि मंदिर के ‘दरबार’ का काम तुरंत शुरू होगा और यह दिसंबर 2024 में पूरा हो जाएगा। श्रीराम मंदिर के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने आगे कहा कि राम दरबार का निर्माण तेजी से हो रहा है और इसे समर्पित करने का समय बढ़ता जा रहा है। इस नए रूप में भगवान राम के दिव्य दरबार को दर्शन करने का अवसर भक्तों को दिसंबर 2024 में मिलेगा। समिति ने सप्ताहांत में हुई बैठक में मंदिर के विभिन्न स्थानों पर निर्माण के लिए काम की तीव्रता बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, सप्त मंडल में भगवान के महर्षि, माता शबरी, और माता अहिल्या के मंदिरों का निर्माण शीघ्र होगा। बैठक में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय, मंदिर निर्माण प्रभारी गोपाल राव, मंदिर के आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा समेत कार्यदायी संस्था के इंजीनियर मौजूद रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सभी लोग मिलकर मंदिर के निर्माण कार्य में जुटे हैं और सबका साझा प्रयास है कि यह दिसंबर 2024 में पूरा हो जाए। Queastion and answer 1. राम मंदिर का निर्माण कब तक पूरा होगा? उत्तर: श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के अनुसार, मंदिर का निर्माण दिसंबर 2024 तक पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है। 2. मंदिर निर्माण की गति में कोई समस्याएं हैं क्या? उत्तर: हां, मंदिर निर्माण की गति में सुधार के लिए प्रतिसप्ताह बैठकें हो रही हैं और समिति प्रतिबद्ध है कि सभी कार्यों को तेजी से और सुरक्षित रूप से पूरा किया जाएगा। 3. क्या मंदिर निर्माण से जुड़ी यात्राएं और सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं? उत्तर: हां, श्रीराम मंदिर समिति ने यात्री सुविधाओं को बढ़ाने का लक्ष्य रखा है और रामनवमी तक इन सुविधाओं को पूरा करने का काम जारी है।
श्रीराम मंदिर: राम लला की प्रतिष्ठा के लिए किस दिन और कैसे बनी उनकी पोशाक? डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने खोला राज
श्रीराम मंदिर: मनीष त्रिपाठी द्वारा रची गई अनूठी पोशाक और अलमारी, भगवान राम के प्रति उनका समर्पण। इस कला की श्रेष्ठता और भक्ति की गहरी कहानी को खोजें। श्रीराम मंदिर: मनीष त्रिपाठी ने 22 जनवरी को भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए भगवान राम की पोशाक डिज़ाइन की थी। उन्होंने कहा, “प्रतिष्ठा समारोह के लिए पोशाक डिज़ाइन करना मेरे लिए एक बहुत बड़ा काम था। लोगों का 500 वर्षों का इंतजार खत्म होने वाला था। मुझे लगता है कि यह भगवान राम ही थे जिन्होंने मुझे इस काम के लिए रास्ता दिखाया और मेरे दिमाग में विचारों का प्रवाह शुरू हो गया।” त्रिपाठी ने बताया कि भगवान राम और उनके तीन भाइयों के लिए कपड़े तैयार करने में उनकी टीम ने करीब 40 दिन बिताए। उन्होंने विवरण देते हुए कहा, “लाल रंग की पोशाक मंगलवार के लिए, हरा बुधवार के लिए, पीला गुरुवार के लिए, हरा शुक्रवार के लिए, नीला शनिवार के लिए, गुलाबी रविवार के लिए और सफेद सोमवार के लिए है।” उन्होंने इस विशेष पोशाक के लिए चयन किए गए कपड़ों का वर्णन करते हुए कहा, “चूंकि भगवान राम भगवान विष्णु के अवतार हैं, जिन्हें पीतांबर के रूप में जाना जाता है, इसलिए हमने पीतांबरी कपड़ा चुना। हमने इसे विशेष रूप से काशी में बनवाया है। यह कोई साधारण कपड़ा नहीं है, हमने इसे खासतौर पर काशी के बुनकरों से बनवाया है, यह रेशम, चांदी और सुनहरे धागों से बना हाथ से बुना हुआ कपड़ा है।” त्रिपाठी ने इस विशेष पोशाक के लिए बनाई गई अलमारी की विशेषताओं का भी वर्णन किया। उन्होंने बताया, “इसकी चौड़ाई 21 इंच और ऊंचाई 51 इंच है। यह शुद्ध सागौन की लकड़ी से तैयार किया गया है और चमकीले मैरून रंग के कपड़े से ढका हुआ है। अलमारी के दरवाजे और हैंडल पर सुंदर पीतल का काम है। पूरी अलमारी को दो डिब्बों में विभाजित किया गया है, जिसमें एक में पोशाक और दूसरे में मैचिंग आभूषण हैं।” त्रिपाठी ने अपने योगदान के बारे में कहते हुए कहा, “मैं योगी आदित्यनाथ जी, चंपत राय जी (ट्रस्ट के महासचिव) और मंदिर ट्रस्ट का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। मैं अपने काम के लिए एक पैसा भी नहीं लूंगा। यह भगवान राम की घर वापसी के प्रति मेरा योगदान होगा। Question and Answer पोशाक बनाने में कितना समय लगा? मनीष त्रिपाठी ने बताया कि भगवान राम और उनके तीन भाइयों के लिए पोशाक तैयार करने में उनकी टीम ने करीब 40 दिन लगाए. पोशाक के रंग किस प्रतिष्ठा के दिनों के अनुसार थे? पोशाकों का रंग विभिन्न दिनों के लिए विभाजित था: लाल (मंगलवार), हरा (बुधवार), पीला (गुरुवार), हरा (शुक्रवार), नीला (शनिवार), गुलाबी (रविवार), और सफेद (सोमवार). पोशाक का मुख्य सामग्री क्या था? पोशाक के लिए मुख्य सामग्री में पीतांबरी कपड़ा शामिल था, जिसे काशी के बुनकरों ने बनाया था। इसमें रेशम, चांदी और सोने के धागे शामिल थे. अलमारी की विशेषताएं क्या थीं? अलमारी की चौड़ाई 21 इंच और ऊचाई 51 इंच थी, जो कि शुद्ध सागौन की लकड़ी से बनी थी। इसमें मैरून रंग के कपड़े से ढकी गई थी और पीतल का काम भी शामिल था। अलमारी को दो डिब्बों में विभाजित किया गया था – एक में पोशाक और दूसरे में मैचिंग आभूषण। मनीष त्रिपाठी का योगदान और उनका भावनात्मक संबंध क्या है? त्रिपाठी ने बताया कि उनका योगदान भगवान राम की घर वापसी के प्रति एक भक्ति भाव से है और वह इस कार्य में किसी भी प्रकार की धन की मांग नहीं करेंगे.
आयोध्या यात्रा: राम मंदिर से आरती तक, सुगम सफर की पूरी जानकारी
आयोध्या यात्रा राम मंदिर का सफर: राम मंदिर के खुलने से लेकर आरती में शामिल होने तक, एयर लाइन और ट्रेन के सफर की पूरी जानकारी आयोध्या यात्रा: नवनिर्मित मंदिर में बालकराम के दर्शन के लिए भक्तों का रेला लगातार उमड़ रहा है। इसमें राम मंदिर के खुलने, आरती में शामिल होने, और यहां रहने के बारे में पूरी जानकारी दी जा रही है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा नए मंदिर में हो चुकी है, और रोजाना लाखों भक्त अयोध्या आ रहे हैं। अगर आप भी अयोध्या की यात्रा की तैयारी कर रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है। यह आर्थिक और सामाजिक मदद करने वाली जानकारी प्रदान करती है, जो आपकी यात्रा को सुगम बना सकती है। यह जानकारी आयोध्या यात्रा के बारे में, ठहरने के स्थान, दर्शनीय स्थलों, उत्सव, मंदिरीय आरतियों, दर्शन का समय, और आरती में शामिल होने की पूरी जानकारी प्रदान करती है। आरती में शामिल होने की व्यवस्था आरती में शामिल होने के लिए पास ट्रस्ट द्वारा जारी किया जाता है। भक्त श्रृंगार, भोग, और संध्या आरती में शामिल हो सकते हैं। पास के लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह की व्यवस्था है। राम जन्मभूमि पथ स्थित कैंप कार्यालय पर पास बनाए जाते हैं, जो आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्रों के साथ नि:शुल्क हैं। ऑनलाइन व्यवस्था ऑनलाइन पास के लिए ट्रस्ट की वेबसाइट srjbtkshetra.org पर रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है, जिससे तीनों आरतियों के लिए 60-60 पास मिलते हैं। मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक सामान रोक राम मंदिर में सुरक्षा कारणों से मोबाइल, पेन, और इलेक्ट्रॉनिक सामान को लेकर रोक है, भक्तों को सिर्फ पर्स और चश्मा लेकर जाने की अनुमति है। मंदिर में मिलेगा ये प्रसाद मंदिर में प्रसाद ले जाने की अनुमति नहीं है, भक्तों को मंदिर परिसर में ही इलायची दाने का प्रसाद ट्रस्ट द्वारा दिया जाता है। राम मंदिर खुलने का समय सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक रामलला की आरती का समय मंगला आरती: सुबह 4:30 बजे श्रृंगार आरती: सुबह 6:30 बजे से 7:00 बजे भोग आरती: 11:30 बजे संध्या आरती: शाम 6:30 बजे भोग आरती: रात 9:00 बजे शयन आरती: रात 10:00 बजे एयर कनेक्टिविटी अयोध्या पहुंचने के लिए दिल्ली: इंडिगो और एयर इंडिया एक्सप्रेस मुंबई: इंडिगो अहमदाबाद: इंडिगो चेन्नई: स्पाइस जट-01 फरवरी से बेंगलुरु: एअर इंडिया एक्सप्रेस रेल कनेक्टिविटी दिल्ली: वंदे भारत एक्सप्रेस, अयोध्या एक्सप्रेस, कैफियत एक्सप्रेस अमृतसर: सरयू यमुना एक्सप्रेस अहमदाबाद: साबरमती एक्सप्रेस जयपुर: मरुधर एक्सप्रेस भोपाल: YPR GKP एक्सप्रेस इंदौर: INDB PNBE एक्स. मुंबई: साकेत एक्सप्रेस कोलकाता: KOAA JATएक्सप्रेस बेंगलुरु: YPR GKP एक्सप्रेस अयोध्या में पांच किलोमीटर के दायरे में रुकने के प्रमुख स्थान जैन धर्मशाला: 50 रूम, 500 से 2000 रुपए, 1.5 किमी राम वैदेही मंदिर: 200 रूम, 1000-3000 रुपए, दो किमी कनक महल: 50 रूम, 1000 से 3000 रुपए, दो किमी राम होटल: 50 रूम, 1000 से 3000 रुपए, एक किमी रामप्रस्थ होटल: 40 रूम, 1000 से 3000 रुपए, दो किमी रमीला कुटीर: 25 रूम, 5000 रुपए, दो किमी रामायणा होटल: 50 रूम, 20 हजार तक, तीन किमी पंचशील होटल, शान-ए-अवध, कृष्णा होटल, तारा जी रिसाॅर्ट: 1000 से 10,000 रुपए, पांच से सात किमी की दूरी में।” Question and Answer राम मंदिर कब खुलता है? उत्तर: राम मंदिर सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है। रामलला की आरती का समय क्या है? उत्तर: मंगला आरती: सुबह 4:30 बजे श्रृंगार आरती: सुबह 6:30 बजे से 7:00 बजे भोग आरती: 11:30 बजे संध्या आरती: शाम 6:30 बजे भोग आरती: रात 9:00 बजे शयन आरती: रात 10:00 बजे आरती में कैसे शामिल हो सकते हैं? उत्तर: आरती में शामिल होने के लिए पास ट्रस्ट द्वारा जारी किए जाते हैं, और ऑनलाइन या ऑफलाइन प्राप्त किए जा सकते हैं। अयोध्या पहुंचने के लिए एयर लाइन और ट्रेन कौन-कौन सी हैं? उत्तर: कई शहरों से अयोध्या पहुंचने के लिए एयर लाइन और ट्रेन सेवाएं हैं, जैसे कि दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई, बेंगलुरु, और अन्य। मंदिर में कौन-कौन सी वस्तुएं ले जा सकती हूँ? उत्तर: मंदिर में सुरक्षा कारणों से मोबाइल, पेन, और इलेक्ट्रॉनिक सामान ले जाने पर रोक है। भक्त केवल पर्स और चश्मा लेकर जा सकते हैं। पास से जुड़ी विवरण कहाँ देख सकते हैं? उत्तर: पास बनवाने के लिए वेबसाइट srjbtkshetra.org पर जा सकते हैं या राम जन्मभूमि पथ स्थित कैंप कार्यालय से प्राप्त किए जा सकते हैं। आयोध्या में ठहरने के लिए सुझाए गए होटल कौन-कौन से हैं? उत्तर: कुछ सुझाए गए होटलों में जैन धर्मशाला, राम वैदेही मंदिर, कनक महल, राम होटल, रामप्रस्थ होटल, रमीला कुटीर, रामायणा होटल, शान-ए-अवध, तारा जी रिसाॅर्ट शामिल हैं।
अयोध्या: रामजन्मभूमि पर श्रद्धालुओं को इलेक्ट्रॉनिक उपकरण नहीं ले जाने का निर्णय
अयोध्या: रामजन्मभूमि पर निर्णय और व्यवस्था राम मंदिर अयोध्या: शनिवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र समन्वय समिति की बैठक ने राम मंदिर में दर्शन के बाद श्रद्धालुओं के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। अब से रामजन्मभूमि के अंदर जाने वाले श्रद्धालु इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, बैग, मोबाइल और प्रसाद लेकर नहीं जा सकेंगे। दर्शन के बाद, रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा निर्धारित निकास मार्ग पर श्रद्धालुओं को प्रसाद मिलेगा। इस बैठक में यह भी तय किया गया कि दिव्यांग और वृद्ध दर्शनार्थियों के लिए गोल्फ कॉर्ट की सुविधा उपलब्ध रहेगी। बैठक के अध्यक्ष कमिशनर गौरव दयाल ने बताया कि श्रद्धालुओं को बेहतर ढंग से दर्शन कराने के लिए सुरक्षा और व्यवस्था को मजबूत किया गया है। इसके साथ ही, दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के जूते-चप्पल रखने की व्यवस्था को और सुव्यवस्थित करने का निर्णय लिया गया है, ताकि दर्शन में कम से कम समय लगे। सुरक्षा के लिए व्यापक प्रबंध किए जा रहे हैं और स्थानीय पुलिस के साथ सीआरपीएफ व पीएसी के जवान भी तैनात किए गए हैं। इसके साथ ही, सभी को समझाया गया है कि रामभक्तों के साथ मित्र भाव से व्यवहार किया जाएगा और श्रद्धालुओं की सभी जिज्ञासाओं का समाधान प्रशासन और पुलिस द्वारा किया जाएगा। Question and Answer 1. क्या श्रद्धालु इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लेकर रामजन्मभूमि में दर्शन कर सकते हैं? नहीं, अब से श्रद्धालु इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, बैग, मोबाइल, और प्रसाद लेकर रामजन्मभूमि में दर्शन करने की अनुमति नहीं है। 2. दर्शन के बाद श्रद्धालु को कैसे मिलेगा प्रसाद? दर्शन के बाद, रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा निर्धारित निकास मार्ग पर श्रद्धालुओं को प्रसाद मिलेगा। 3. दिव्यांग और वृद्ध दर्शनार्थियों के लिए कौन-कौन सी सुविधाएं हैं? इन श्रद्धालुओं के लिए गोल्फ कॉर्ट की सुविधा उपलब्ध है। 4. कैसे होगी श्रद्धालुओं की सुरक्षा? व्यापक प्रबंध और स्थानीय पुलिस, सीआरपीएफ और पीएसी के जवानों के साथ सुरक्षा के लिए उच्च स्तरीय प्रबंध किया गया है। 5. श्रद्धालुओं की जिज्ञासाओं का समाधान कैसे होगा? प्रशासन और पुलिस द्वारा तैनात अधिकारी श्रद्धालुओं की सभी जिज्ञासाओं का समाधान करने के लिए उपस्थित होंगे।