राम सीता विवाह

विवाह हेतु धनुष यज्ञ रचना विवाह हेतु जो धनुष यज्ञ हो रहा है उसमें श्री राम जी और लक्ष्मण जी के साथ विश्वामित्र जी प्रवेश करते हैं। प्रभु जब यज्ञशाला में पहुंचे, तो सभी को अलग-अलग दिखाई देने लगे। जो राजा अपने आप को वीर मानते हैं। उन्हें राम जी परमवीर दिखाई देने लगे। जो असुर और कपटी है, उन्हें राम जी कल के समान दिखाई देने लगे। ज्ञानी राजाओं को परम तत्व दिखाई देने लगे। भक्तों को भगवान दिखाई देने लगे। गोस्वामी जी कहते हैं जिन्ह कें रही भावना जैसी। प्रभु मूरति तिन्ह देखी तैसी॥ जिनकी जैसी भावना थी। राम जी सबको उसी प्रकार दिखने लगे। विश्वामित्र जी को पूरी यज्ञशाला का दर्शन कराया। विश्वामित्र जी कहते हैं दिव्या रचना। विश्वामित्र जी के साथ दोनों भाइयों को सबसे ऊंचा स्थान दिया। सब मंचन्ह तें मंचु एक सुंदर बिसद बिसाल। मुनि समेत दोउ बंधु तहँ बैठारे महिपाल॥ जनक जी ने सीता जी को बुलाया है। मां सखियों के साथ आई है। जनक जी ने बंदी जनों को आदेश दिया प्रण सुनने का। बंदी जनों ने अपने दोनों हाथों को उठाकर महाराज का प्रण सुनाया। सुनिए दीप- दीप के राजा- महाराजा हमारे महाराज का यह प्रण है, कि जो भी शिव के पिनाक पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उससे हमारी जनक जी की लाडली जानकी जी का विवाह होगा। सभी 10000 राजाओं ने धनुष उठाने का प्रयास किया, पर धनुष तिल मात्र नहीं हिला। अपनी कीर्ति गवाकर सभी राजा सर नीचा करके अपने स्थान पर बैठ गए। तभी महाराज जनक कहते हैं आप सभी अपने आप को वीर कहते हैं। आप सबसे धनुष तिल मात्र नहीं हिला कैसे वीर रहे हैं आप। मुझे अगर पता होता की धरती पर कोई वीर नहीं है, तो मैं इस प्रकार का प्रण लेकर अपना उपहास कदापि ना होने देता। लक्ष्मण जी खड़े हुए और क्रोध से बोले भैया आपके रहते जनक जी कहते हैं, धरती पर कोई वीर नहीं है। गरजे लक्ष्मण जी, और राम जी की सौगंध खाकर लक्ष्मण जी कहते हैं। मैं इस धनुष को उठाकर 100 योजन दौड़ूंगा और नहीं कर पाया तो कभी धनुष धारण नहीं करूंगा। विश्वामित्र जी के कहने पर राम जी ने लक्ष्मण जी को बुलाया और अपने पास बिठाया। विश्वामित्र जी ने आज्ञा दी राम जी जाइए और धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाईए। राम जी ने गुरुदेव को प्रणाम किया। धनुष के इष्ट भगवान शिव को प्रणाम किया।और धनुष उठाने लगे। सभा में उपस्थित सभी लोगों ने अपने-अपने पितरों से प्रार्थना की की रामजी धनुष को उठा ले। श्री राम जी ने धनुष को उठाया और जितनी देर में बिजली चमकती है उतनी ही देर में भगवान ने धनुष उठाया झुकाया और तोड़ दिया। शतानंद जी ने आदेश दिया सीता जी आगे आईए और राम जी को जयमल पहनाइए। मां ने जयमल पहनाई और देवताओं ने आकाश से पुष्प वर्षा की। तभी परशुराम जी आए और टूटा हुआ धनुष देखकर क्रोध में आ गए, और बोल किसने तोड़ा है। कहकर युद्ध के लिए ललकारने लगे। तभी राम जी कहते हैं, मेरी जितनी बड़ी बड़ा अपराध नहीं है उतना बड़ा आज आपका क्रोध हो गया है। आप युद्ध के लिए ललकार रहे हैं तो मैं भी रघुवंशी हूं अगर काल भी सामने आ जाए तो भी मैं पीछे नहीं हटूंगा। परंतु रघुवंशी स्त्रियों और ब्राह्मणों पर शस्त्र नहीं उठाते। परशुराम जी ने ब्राह्मणों में इतनी श्रद्धा देखी। राम जी के हाथ में अजगवधनुष को दिया और राम जी के हाथ में आते से ही धनुष पर प्रत्यंचा अपने आप चढ़ गई। परशुराम जी ने राम जी को ब्रह्म जानकर नौ बार प्रणाम किया और महेंद्र पर्वत पर चले गए। कुल परंपरा के अनुसार विवाह के लिए जनक जी ने अयोध्या दूत भेजें। दूत अयोध्या पहुंचे बारात का मुहूर्त निकाला। बारात अयोध्या से मिथिला पहुंची और सभी ज्योतिषों ने विवाह के लिए मुहूर्त निकाला। सभी प्रकार से पूजन कर विवाह पूर्ण हुआ और सभी देवताओं ने आकाश से पुष्प वर्षा की। उसके पश्चात भगवान का राज्याभिषेक और वनवास का क्या कारण था । Summary रामजी, लक्ष्मणजी, और विश्वामित्रजी यज्ञशाला में पहुंचे, जहाँ राम जी सभी को अलग-अलग दिखने लगे। राम की वीरता ने सभी को प्रभावित किया, और उन्हें दिव्य और भगवान मानने लगे। विश्वामित्रजी सहितन दोनों भाइयों को सर्वोच्च स्थान दिया। फिर धनुष उठाने का प्रयास किया गया, लेकिन सिर्फ रामजी ने ही धनुष को हिलाया। इसके बाद उनका विवाह हुआ और उनकी वीरता का प्रमाण दिया गया। परशुराम के सामने राम ने अपनी ब्राह्मणीयता का प्रदर्शन किया और उनकी श्रद्धा ने परशुराम को प्रसन्न किया। विवाह के बाद, सभी देवताएं आकाश से पुष्प वर्षा करती रहीं। Question with answer 1. राम जी किस प्रकार दिखाई देने लगे जब यज्ञशाला में पहुंचे? उत्तर: वीर, परमवीर, ज्ञानी राजाओं को परम तत्व और भक्तों को भगवान दिखाई देने लगे। 2. किसे बुलाया गया जनक जी के द्वारा और क्या आदेश दिया गया? उत्तर: जनक जी ने सीता जी को बुलाया और बंदी जनों को आदेश दिया कि प्रण सुनाएं। 3. राम जी ने किसे बुलाया और क्या कहा? उत्तर: राम जी ने लक्ष्मण जी को बुलाया और अपने पास बिठाया। 4. धनुष को उठाने में सफलता की कहानी में कौन विफल रहा? उत्तर: सभी 10000 राजाओं ने प्रयास किया, पर धनुष तिल मात्र नहीं हिला। 5. राम जी ने किसे प्रत्यंचा चढ़ाने को कहा? उत्तर: राम जी ने धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए अपने हाथ में लेने के बाद गुरुदेव और भगवान शिव को प्रणाम किया। 6. विवाह के लिए कौन-कौन से कदम उठाए गए? उत्तर: जनक जी ने अयोध्या दूतों को भेजा, बारात का मुहूर्त निकाला, ज्योतिषों ने मुहूर्त निकाला और सभी प्रकार से पूजन कर विवाह पूर्ण हुआ।