श्रीराम भरत मिलाप

भरत जी का अयोध्या से प्रस्थान भरत जी ने कहा प्रातः काल होते ही मैं भैया से मिलने जाऊंगा। पूरी अयोध्या साथ में जाने को तैयार हो गई। कैकई नंदन ने सेवकों को अयोध्या के रखरखाव का भार सौंप दिया और गुरुजी से अभिषेक के सामग्री की आज्ञा ली। गुरु जी ने आज्ञा दी। पालकी में माता को बिठाया। रथ पर गुरुदेव भगवान को बिठाया। और सभी अयोध्या वासियों के साथ भरत जी चित्रकूट के लिए रवाना हो गए। पहले दिन कैकई नंदन सहित सारे अयोध्यावासी तमसा नदी के किनारे रुके। दूसरे दिन गोमती मैया के तट पर विश्राम हुआ है। तीसरे दिन सई नदी के तट पर विश्राम हुआ है। और चौथे दिन पूरा समाज श्रृंगवेरपुर गंगा जी के किनारे पहुंचा। श्रृंगवेरपुर के राजा निषाद राजगुहु उपहार लेकर कैकई नंदन के पास पहुंचे। कैकई नंदन गुरुदेव भगवान से पूछते हैं, जो प्रणाम कर रहे हैं वह कौन है? गुरुदेव कहते हैं, जो प्रणाम कर रहे हैं वह आपके भैया के शखा है। कैकई नंदन ने केवट जी को हृदय से लगा लिया। प्रातः काल होते ही केवट जी ने सारी नौकाओं को एकत्रित किया और सभी अयोध्या वासियों को एक साथ गंगा जी पार कराई। सभी लोग तीर्थराज प्रयाग पहुंचे, भरत जी ने त्रिवेणी जी में स्नान किया है। और तीर्थराज प्रयाग से वरदान मांगते हैं कि मेरे भैया श्री राम और माता सीता में मेरा प्रेम निरंतर बढ़ता रहे। कैकई नंदन सभी अयोध्या वासियों के साथ भारद्वाज मुनि के पास विश्राम करते हैं। भारद्वाज जी से विदा लेकर भरत जी चले हैं। भरतजी का चित्रकूट में प्रवेश कैकई नंदन अयोध्या वासियों के साथ चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के किनारे पहुंचे। मंदाकिनी नदी के किनारे रात्रि विश्राम किया। मंदाकिनी नदी के उस ओर प्रभु श्री राम है। माता सीता राघव जी से कहती है, प्रभु मैंने एक सपना देखा है। जिसमे भरत जी आ रहे हैं और माताओ का सर अमंगल दिखाई दे रहा है। प्रभु श्री राम ने सीता जी के सपने के बारे में जाना और लक्ष्मण भैया के साथ भगवान भोलेनाथ की आराधना करने लगे। पूजन करने के पश्चात भगवान मुनियों के साथ बैठे ही थे, कि अचानक उत्तर दिशा की ओर खलबली मच गई। किसी ने आकर पूछा प्रभु आपका कोई भाई भी है क्या? राघव जी उत्तर देते हैं हां है उनका नाम भरत है तभी एक कोल कहता है कि आपके भाई आए हैं। प्रातः काल होते ही कैकई नंदन गुरुदेव एवं माताओ से आज्ञा लेकर शत्रुघ्न भैया और निषाद राज जी के साथ स्वयं राम जी से मिलने गए। कुटिया के बाहर कैकई नंदन गिर पड़े और श्री राम को दंडवत करते हैं। प्रभु श्री राम भारत जी की आवाज सुनकर तेज गति से कैकई नंदन की ओर दौड़े और कैकई नंदन को पृथ्वी से उठाकर हृदय से लगा लिया। और वहां जितने भी पत्थर थे इस प्रेम को देखकर सारे पिघल गए। निषादराज जी करते हुए कहते है। प्रभु मंदाकिनी जी के तट पर पूरी अयोध्या आई है। जाकर सबसे पहले माता कैकई से मिले। माता कैकई को अनेक प्रकार से समझाया और सभी माता को प्रणाम किया। और पूरे समाज को चित्रकूट लेकर आए। जाते-जाते गुरुदेव ने श्रद्धांजलि सभा बिठाई और राम जी से कहा कि अब महाराज नहीं रहे। यह सुनकर राम जी बहुत रोये राम जी को रोता देख सारा समाज रोने लगा। पिता के मरण पर जो भी विधि जेष्ट पुत्र के द्वारा होती है। वह सारी विधि राम जी ने परिपूर्ण की और गुरुदेव से प्रार्थना की। की क्या आप सारे समाज को अयोध्या ले जाएं। गुरुदेव ने राम जी से कहा कुछ दिन अयोध्या वासियों को यहां रहने दीजिए। अयोध्यावासी चित्रकूट में रहने लगे। कैकई नंदन ने अनेकों प्रकार से राम जी पर प्रेम लुटाया और अयोध्या लौटने की विनती की। प्रभु श्री राम ने पिता के वचनों की दुहाई देकर कैकई नंदन को अनेकों प्रकार से समझाया है। तभी जनक जी आते हैं प्रभु ने सह समाज स्वागत किया है। राम जी ने भारत जी को समझाया, जो भी कुछ करना माता और गुरुदेव भगवान से पूछ पूछ कर करना। 14 वर्ष के लिए तुम मुखिया बन कर जा रहे हो। प्रभु श्री राम ने चिन्ह के रूप में अपने चरण पादुका को कैकई नंदन को दिया है। प्रभु श्री राम ने सभी को दंडवत करते हुए विदा किया। 9 दिन का समय लगा सभी अयोध्या पहुंचे हैं। भारत जी ने सोचा भैया राम तो कुटिया में रहते हैं, मैं महल में कैसे रह सकता हूं यह सोचकर भारत की नंदीग्राम में कुटिया बनाकर रहने लगे। उसके पश्चात चित्रकूट में श्री राम और जयंत के बीच की घटना बताइए है Summary भरत जी की यात्रा का वर्णन है। उन्होंने अयोध्या को छोड़कर राम को ढूंढने की यात्रा पर निकला। उनके साथ उनकी माता, सेवक और अन्य लोग भी थे। यात्रा में विभिन्न तीर्थस्थलों का दौरा किया गया और भरत जी ने राम को ढूंढा। उन्होंने राम से मिलकर प्रेम और सम्मान दिखाया, और फिर आयोध्या वापस जाकर उनकी कुटिया बनाई। Question and Answer प्रश्न1 : कैकई नंदन की यात्रा कहां शुरू हुई थी? उत्तर : कैकई नंदन की यात्रा अयोध्या से शुरू हुई थी। प्रश्न2: कैकई नंदन ने अपनी यात्रा के दौरान क्या-क्या किया? उत्तर: उन्होंने अपनी यात्रा में अनेक तीर्थस्थलों का दौरा किया, राम को ढूंढने का प्रयास किया, और राम से मिलकर उन्हें प्रेम और सम्मान दिखाया। प्रश्न3: कैकई नंदन ने अपनी यात्रा के दौरान किन-किन स्थलों पर रुकावट की? उत्तर: उन्होंने तमसा नदी, गोमती मैया के तट, सई नदी के तट, श्रृंगवेरपुर, और मंदाकिनी नदी के किनारे रुकावट की। प्रश्न4 : कैकई नंदन ने राम को ढूंढकर कहां पाया था? उत्तर: उन्होंने राम को मंदाकिनी नदी के किनारे ढूंढा था। प्रश्न5: कैकई नंदन ने अयोध्या वापस आकर क्या किया? उत्तर: भरतजी ने अयोध्या वापस आकर वहां अपनी कुटिया बनाई और वहां रहने लगे।