भूतेश्वर मंदिर: भक्तों की मान्यताओं और रहस्यों का गहरा अध्ययन
भूतेश्वर मंदिर: उसके रहस्य और महत्त्व भोलेनाथ’ को सभी देवी-देवताओं में सबसे भोला माना जाता है, जिन्हें न केवल देवों के देव महादेव कहा जाता है। यही कारण है कि ये अपने भक्तों पर शीघ्र ही प्रसन्न होकर उनकी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं। हिंदू धर्म में ब्रह्मा जी को इस सृष्टि के रचनाकार, विष्णु जी को पालनकर्ता कहा गया है, वहीं भोलेनाथ को सहांर के देवता का दर्जा प्राप्त है। शिव पुराण के साथ साथ हिंदू धर्म के अन्य शास्त्रों में भी महाकाल से जुड़े कईं रहस्य बताए गए हैं। जो न केवल दिलचस्प हैं बल्कि हैरान जनक भी हैं। आज हम आपको इसी कड़ी में शिव जी के एक प्रसिद्ध मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो प्राचीन तो है ही, बल्कि साथ ही साथ अपने आप में बेहद विशेष है। जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं, वह उत्तर प्रदेश के कानपुर में भूतेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार इसकी सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर का निर्माण मानव जीव द्वारा नहीं, बल्कि प्राचीन समय में भूतों द्वारा करवाया गया था। चलिए आपकी उत्,सुक्ता को और न बढ़ाते हुए जानते हैं क्या है इस मंदिर से जुड़ी अन्य रोचक जानकारी। मंदिर से जुड़ी खास जानकारी – मंदिर के बारे में भक्तों का मानना है कि यहां विराजमान बाबा भूतेश्वर सबकी मनोकामनाओं को शीघ्र पूरा करते हैं। खास तौर पर सावन के महीने में यहां श्रद्धालु दूर-दूर से बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। बात करें मंदिर के निर्माण की, तो स्थानीय लोगों का कहना है कि इसका निर्माण भूतों ने करवाया था। खास बात यह है कि इस मंदिर को बनवाने के लिए सालों-साल का समय नहीं, बल्कि इसे रातों-रात बनवाया गया था। जिस कारण इस स्थल का नाम भूतेश्वर महादेव मंदिर पड़ा। जानकारी के लिए बता दें भूतेश्वर का अर्थ है ‘भूतों के ईश्वर’। मंदिर के महांत महाराज गिरी के मुताबिक मंदिर हजारों साल पुराना है। उनके अनुसार इस मंदिर का संबंध न केवल भगवान शिव व भूतों से है, बल्कि श्री राम से भी माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम ने जब सीता माता का परित्याग कर दिया था, तब सीता माता यहां लव-कुश के साथ बिठूर में रहती थीं। मंदिर परिसर के बारे में बात करें तो पुजारियों के अनुसार प्राचीन समय में मंदिर के भीतर दो सुरंगे थी जिसमें से एक रावतपुर क्षेत्र में और दूसरी बिठूर क्षेत्र में खुलती थी। ऐसा कहा जाता है कि रावतपुर की रानी रौतेला इन सुरंगों से होकर भूतेश्वर महादेव की पूजा करने के लिए आती थीं। चूंकि रौतेला रानी बेहद खूबसूरत थी, उन्हें कोई देख न पाए इसलिए रावतपुर के राजा ने उनके लिए दो सुरंगों का निर्माण करवाया दिया था, जो आज भी यहां मौजूद हैं। यहां के लोगों को भूतेश्वर महादेव में अटूट विश्वास है। उनका मानना है कि भूतेश्वर बाबा किसी की भी मनोकामना को व्यर्थ नहीं जाने देते, सभी भक्त बाबा के द्वार से प्रसन्न होकर जाते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण हो जाने के बाद बाबा को पीतल के घण्टे चढ़ाते हैं। Question and answer प्रश्न: भूतेश्वर मंदिर कहां स्थित है? उत्तर: भूतेश्वर मंदिर उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में स्थित है। प्रश्न: क्या इस मंदिर का निर्माण मानवों ने किया था? उत्तर: नहीं, मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण प्राचीन समय में भूतों द्वारा किया गया था। प्रश्न: मंदिर में क्या विशेषता है? उत्तर: भक्तों का मानना है कि यहां विराजमान बाबा भूतेश्वर सभी मनोकामनाओं को शीघ्र पूरा करते हैं, खासतौर पर सावन के महीने में यहां श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। प्रश्न: मंदिर के परिसर में क्या है? उत्तर: मंदिर के भीतर प्राचीन समय में दो सुरंगे थीं, जो रावतपुर और बिठूर क्षेत्र में जाती थीं। प्रश्न: क्या मंदिर के इतिहास में किसी अन्य धार्मिक महत्त्व का जिक्र है? उत्तर: पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम के जीवन का एक हिस्सा माना जाता है कि उन्होंने सीता माता के परित्याग के बाद यहां लव-कुश के साथ रहा था। प्रश्न: भूतेश्वर महादेव के मंदिर में लोगों की विश्वासपूर्ण दृष्टि क्या है? उत्तर: यहां के लोग विश्वास करते हैं कि भूतेश्वर बाबा किसी की भी मनोकामना को व्यर्थ नहीं जाने देते और मनोकामनाएं पूर्ण होने पर बाबा को पीतल के घण्टे चढ़ाते हैं।