श्रीराम को वनवास कैसे मिला?

श्रीराम को वनवास कैसे मिला?

श्री राम को वनवास मिलने के कारण वनवास जाने के लिए भगवान राम ने देवताओं को प्रेरित किया, और कहा अयोध्या से बाहर निकालूं ऐसा कुछ करिए। देवताओं ने सरस्वती जी को भेजा। सरस्वती जी आई और मंथरा की मति पलट कर चलिए गई। अब मंथरा की ही मति क्यों पलटी, क्योंकि सरस्वती जी रात भर पूरी अयोध्या में घूम रही थी कि किसकी मति को पलटू, पर बाहा ऐसा कोई नहीं दिखा। परंतु, मंथरा प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक से खुश नहीं प्रतीत हो रही थी। वह प्रभु से ईर्ष्या करती थी। इसी कारण से सरस्वती जी ने मंथरा की मति पलट दी।मंथरा ने मां कैकई की मति को पलट दिया। मां कैकई कोप भवन में बैठी है। महाराज आते हैं। माता कैकई, महाराज से दो वर मंगती हैं। पहला श्री राम को 14 वर्ष का वनवास और दूसरा भरत को राज सिंहासन। यह सुनकर महाराज दशरथ कांप जाते हैं। महाराज दशरथ खड़े के खड़े गिर गए। अपने बालों को नोचने लगे, और विलाप करने लगे। सवेरा हुआ भगवान राम महाराज के पास आए। पूछा मां कैकई से क्या हुआ है पिताजी को? दशरथ जी बोले तुम्हारी मां ने तुम्हारे लिए वनवास मांगा है। यह सुनकर राम जी अति प्रसन्न हुए और कहां, आज आपने मर्यादा पुरुषोत्तम राम को जन्म दिया है। राम जी कहते हैं सुनु जननी सोइ सुतु बड़भागी। जो पितु मातु बचन अनुरागी॥ रघुनाथ जी कहते हैं। वह संतान बड़भागी है, जो अपने माता-पिता के वचनों में प्रेम करें। और जो संतान अपने व्यवहार से अपने माता-पिता को संतुष्ट कर दे, वह संसार में दुर्लभ है। भगवान राम ने दशरथ जी के चरणों में दंडवत किया और बहुत प्रकार से समझा कर कौशल्या के पास गए। जाकर कौशल्या मां को सारी बात बताएं। मां कौशल्या ने पिता की आज्ञा का पालन करने को कहा । सीता जी आई सीता जी ने विनती की, प्रभु मैं भी आपके साथ बन चलूंगी। प्रभु ने बहुत समझाने की कोशिश की पर सीता जी नहीं मानी, तो भगवान ने साथ चलने की आज्ञा दी। इतने में लक्ष्मण जी आ गए लक्ष्मण जी ने भी साथ चलने की जिद्द की भगवान ने नाना प्रकार से समझाया है, पर लक्ष्मण जी नहीं माने। भगवान ने कहा ठीक है मां सुमित्रा से आज्ञा ले लीजिए। गुरुदेव भगवान से आज्ञा ली और दंडवत करके पिताजी को दंडवत किया। वनवासी रूप धारण कर चले। गुरुदेव भगवान का आश्रम में गए ब्राह्मणों को दान दिया है। दशरथ जी ने सुमंत जी को आज्ञा दी है, रथ पर लेकर जाओ 4 दिन वन दिखाना और ले आना। सुमंत जी रथ लेकर आए भगवान रथ पर बैठे पूरी प्रजा भगवान के पीछे-पीछे भाग रही है। भगवान ने सोचा अगर प्रजा इसी प्रकार मेरे पीछे भागती रही तो मैं पिताजी की आज्ञा का निर्वाहन कैसे करूंगा। भगवान ने योग माया से सभी प्रजा को गहरी निद्रा में सुला दिया और रथ के पहियों के निशान को मिटा दिया। और वनवास की यात्रा में आगे बढ़े । Summary श्री राम को वनवास कैसे मिला। उन्होंने कैसे अपने पिताजी की आज्ञा का पालन करके वनगमन की यात्रा शुरू की। इसमें सरस्वती और मंथरा के बीच की बातचीत, मां कैकई की मांग, और राम, सीता, और लक्ष्मण की यात्रा का वर्णन है। भगवान राम ने वनगमन की यात्रा में कैसे प्रजा की सुरक्षा की और यात्रा को जारी रखने के लिए योग माया का उपयोग किया। Question and Answer   1: श्री राम को वनवास क्यों मिला? उत्तर: भगवान राम ने देवताओं को प्रेरित करके अपने वनगमन की मांग की थी। 2: राम ने वनगमन की मांग क्यों की थी? उत्तर: देवताओं ने प्रेरित करके भगवान राम ने अपने वनवास की इच्छा जाहिर की थी। यह मांग मंथरा की ईर्ष्या और दशरथ जी के वचनों की पालन के लिए थी।

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