शिव पार्वती संवाद

शिव पार्वती जी द्वारा श्री राम चरित्र का गुणगान शिव पार्वती जी कैलाश में बट वृक्ष के नीचे बैठे हुए हैं। मां बाबा के वामंग में विराजमान है। बाबा ने पूछा आप क्यों आई हैं। क्या आप कुछ पूछना चाहती हैं। मां ने कहा प्रभु आप विश्व के नाथ हैं। आप मेरे भी नाथ हैं। आप सर्वज्ञ हैं, समस्त गुना के धाम। प्रभु आप एक बात बताइए क्या कभी कल्पवृक्ष के नीचे रहने वाला दरिद्र हो सकता है। नहीं ना, तो आपके चरणों की दासी होकर भी मेरा भ्रम समाप्त क्यों नहीं हो पा रहा है। शंकर जी ने पूछा आपको भ्रम है। मां बोली यह पिछले जन्म का है। जो अभी तक समाप्त नहीं हुआ। शंकर जी बोले मैं आपका भ्रम कैसे समाप्त करूंगा। मैया बोली आप ही के पास उपाय है।कहि रघुनाथ कथा बिधि नाना॥ शंकर जी ने पूछा आपको क्या भ्रम है। मां बोली जो संत लोग कहते हैं, राम की ब्रह्म है। शेष, सरस्वती, वेद, पुराण सब राम जी की महिमा का गुणगान करते हैं। आपको मैं देखती हूं। आप दिन रात बैठ कर राम नाम जपते हैं। क्या यह अयोध्या में जन्मे राम जी है या कोई और राम जी हैं। आप कहते हैं, कि राम जी ब्रह्म है। तो ब्रह्म का जन्म तो नहीं होता। यह एक राजा के पुत्र कैसे बन गए। और राजा के पुत्र है तो जन्म लेने वाले राज्य पुत्र को आप ब्रह्म क्यों बता रहे हैं। देखि चरित महिमा सुनत भ्रमति बुद्धि अति मोरि॥ मां ने रामचरित्र और सारी लीला पूछी। प्रभु आप तीनों लोकों के गुरु हैं। मुझे पूछने में और कुछ छूट गया हो तो यह आप बता दीजिए। श्रीरघुनाथ रूप उर आवा। परमानंद अमित सुख पावा॥ हृदय में राम जी का दर्शन हुआ और भगवान शंकर दो दंड के लिए ध्यान में चले गए मां हाथ जोड़ बैठी हैं। बाबा सभी को सुख प्रदान करने के लिए ध्यान से बाहर आए, और भगवान शिव पार्वती जी के सामने कथा प्रारंभ करने से पहले मंगलाचरण किया। भगवान शिव पार्वती मैया को धन्यवाद दिया। मैया ने कहा आप मुझे क्यों धन्यवाद कर रहे हैं। बाबा बोले आज तक ऐसा उपकार मुझ पर किसी ने नहीं किया। मैया ने पूछा मैंने कौन सा उपकार कर दिया। पूँछेहु रघुपति कथा प्रसंगा। सकल लोक जग पावनि गंगा॥ आपने जो पूछा है यह राम जी की कथा गंगा के समान है। बाबा कहते हैं जो मनुष्य भगवान श्री राम का चिंतन, मनन और गुणगान नहीं करता है। वह व्यक्ति पशु के समान है। बाबा बोले – एक बात नहिं मोहि सोहानी। जदपि मोह बस कहेहु भवानी॥ आपने जो भी पूछा है सब मोहवस पूछा है। परंतु मुझे आपकी बात अच्छी नहीं लगी आपने यह कह दिया राम जी कोई और है। यह बात कौन कहता है। कहहिं सुनहिं अस अधम नर ग्रसे जे मोह पिसाच। पाषंडी हरि पद बिमुख जानहिं झूठ न साच॥ जो पाखंडी है, जिसको सत्य-सत्य का ज्ञान नहीं है। जो धर्म के विमुख हो चुका है। वह कह सकता है राम जी कौन है। आपने पूछा शगुन और निर्गुण भगवान कौन है देवी यह एक ही है। सगुनहि अगुनहि नहिं कछु भेदा। गावहिं मुनि पुरान बुध बेदा॥ भगवान भक्त के प्रेम बस निर्गुण से सगुन होते हैं बाबा कहते हैं।-रामहि केवल प्रेमु पिआरा। जानि लेउ जो जान निहारा॥ राम जी को केवल प्रेम प्रिया है। बाबा ने कहा देवी भगवान के स्वरूप को कोई नहीं जानता। वेद अपने अनुसार कहते हैं। महाराज दशरथ के आंगन में खेलने वाले बालक श्री राम ही भगवान है। माता ने पूछा राम जी मनुष्य रूप में कब आते हैं। बाबा बोले- जब जब होई धरम कै हानी। बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी॥ जब-जब धर्म की हानि होती है तो राक्षसो के संघार के लिए भगवान जन्म लेते हैं । बाबा ने माता को भगवान श्री राम के जन्म के पांच कारण सुनाएं। Summary शिव पार्वती द्वारा श्री राम चरित्र का गुणगान किया गया है। मां बाबा के साथ बैठकर श्री राम की महिमा और उनके स्वरूप के बारे में बातचीत की गई है। इसके अलावा, बाबा ने माता से राम जी के जन्म के पांच कारणों के बारे में बताया है। Question and Answer 1. शिव पार्वती जी ने क्यों कैलाश पर्वत पर बैठकर बाबा से बातचीत की? उत्तर: शिव पार्वती जी ने कैलाश पर्वत पर बैठकर बाबा से श्री राम के चरित्र और गुणगान के बारे में चर्चा की थी। 2. मां ने क्यों बाबा से पूछा कि क्या कल्पवृक्ष के नीचे रहने वाला दरिद्र हो सकता है? उत्तर: मां ने इस सवाल के माध्यम से अपने भ्रम को समझाने का प्रयास किया, क्योंकि वह चाहती थी कि उसका भ्रम समाप्त हो जाए। 3. मां ने बाबा से श्री राम के ब्रह्म होने के संदर्भ में क्या पूछा? उत्तर: मां ने पूछा कि क्या राम जी ब्रह्म हैं और कैसे उनका जन्म नहीं हो सकता, जैसे कि मानव राजा के पुत्र का होता है. 4. बाबा ने माता को भगवान श्री राम के जन्म के पांच कारण क्या सुनाएं? उत्तर: बाबा ने माता को भगवान श्री राम के जन्म के पांच कारण बताए, जिनमें धर्म की हानि, राक्षसों के संघार के लिए उनका जन्म शामिल था। 5. बाबा ने माता से क्या कहा कि राम जी को केवल प्रेम प्रिया है? उत्तर: बाबा ने कहा कि राम जी को केवल प्रेम प्रिया है, और उनके भक्त के प्रेम से वे सगुण स्वरूप में प्रतिष्ठित होते हैं।