श्री राम जन्म के 5 कारण

श्री राम जन्म के 5 कारण

श्री राम जन्म का पहला कारण  श्री राम जन्म के कारण बाबा ने माता को सुनाएं ,बाबा कहते हैं। भगवान के द्वार पर दो द्वारपाल थे, जय और विजय। एक बार समकादिक ऋषि भगवान के दर्शन के लिए पहुंचे। तो द्वारपालों ने दर्शन करने से रोक दिया। मुनिया ने श्राप दे दिया, बोले भगवत दर्शन में विघ्न उत्पन्न करते हो। असुर हो जाओ, भगवान दौड़कर बाहर आए क्षमा याचना की। मुनियों ने कहा प्रभु तीन बार हमने अनुमति मांगी। और इन दोनों ने हमें एक बार नहीं तीन बार रोका। अब यह तीन बार बनेंगे। जब-जब यह असुर बनेंगे तब – तब आपको पृथ्वी पर अवतार लेकर इनका उधर करना पड़ेगा। वही जय विजय सतयुग में हिरण्याक्ष और हिरण कश्यप बने। हिरण्याक्ष के लिए भगवान ने वराह रूप लिया। और हिरण कश्यप के लिए नरसिंह रूप धारण किया। दूसरा जन्म त्रेता में रावण और कुंभकरण के रूप में हुआ। जिनके लिए परमात्मा श्री राम ने अवतार लिया। और तीसरा अवतार शिशुपाल और दांत वक्र के रूप में हुआ। जिनके लिए भगवान ने श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया। श्री राम जन्म का दूसरा कारण यह तुलसी जी ने श्राप दिया है पिछले जन्म में वृंदा थी। परम सती असुराधिप नारी। तेहिं बल ताहि न जितहिं पुरारी॥ मां वृंदा का विवाह असुरों के राजा जालंधर से हुआ। मां का सतीत्व इतना प्रबल था। वृंदा के सतीत्व करण के कारण युद्ध में जालंधर को कोई नहीं हर पता था। सारे देवता भगवान श्री हरि के पास पहुंचे। श्री हरि ने क्षल से वृंदा के सतीत्व के कवच को समाप्त किया है। छल करि टारेउ तासु ब्रत प्रभु सुर कारज कीन्ह। युद्ध में जालंधर मर गया। वृंदा मैया को पता चला। श्राप दे दिया, भगवान ने छल करके मेरे पति को दूर किया एक दिन मेरा पति छल करके आपकी पत्नी को दूर कर देगा।  श्री राम जन्म का तीसरा कारण यह नारद जी ने श्री हरि को श्राप दे दिया। बाबा मैया से कहते हैं-  नारद श्राप दीन्ह एक बारा। कलप एक तेहि लगि अवतारा॥ नारद जी एक बार तपस्या पर बैठे। भगवान की इतनी कृपा थी, की कामदेव नारद जी की तपस्या नहीं तोड़ पाए। नारद जी को लगा कि मेरा पुरुषार्थ इतना हो गया है, कि मैंने काम को परास्त कर दिया है। भगवान ने रची माया। माया का नगर बनाया। माया की कन्या बनाई। जिसका नाम विश्व मोहिनी था। नारद जी का विवाह करने का मन हुआ। भगवान से अपना स्वरूप मांगा। क्यों मांगा? क्योंकि भगवान विष्णु मोहन है और यह विश्व मोहिनी है। यदि विश्व मोहन मिल जाएंगे तो विश्व मोहिनी माला गले में डाल देगी। भगवान ने वानर का रूप दे दिया। जब गए स्वयंवर में तो नारद जी को सभी प्रणाम करने लगे। नारद जी समझकर और विश्व मोहिनी को नारद जी वानर के रूप में दिखाई दे रहे हैं। नारद जी समझने लगे सब भगवान जानकर प्रणाम कर रहे हैं। जाकर बैठ नारद जी के पीछे शंकर जी के दो रुद्रगढ़  ब्राह्मण के रूप में जाकर बैठ गए और सुंदरता का वर्णन करने लगे।  नारद जी प्रसन्न हो गए। जब विश्व मोहिनी आई तो नारद जी का स्वरूप वानर का दिखाई पड़ा। विश्व मोहिनी व पंक्ति छोड़कर सामने वाली पंक्ति में चली गई। भगवान स्वयं राजकुमार का रूप धारण करके चले आए। और विश्व मोहिनी ने भगवान के गले में माला डाल दी। जब नारद जी ने अपना वानर रूप देखा। तो दोनों गनों को श्राप देकर चले भगवान के पास। बोले- देहउँ श्राप कि मरिहउँ जाई। जगत मोरि उपहास कराई॥ या तो श्राप दूंगा। नहीं तो प्राण त्याग दूंगा। नारद जी को भगवान रास्ते में ही मिल गए। नारद जी ने जब विश्व मोहिनी को भगवान के पास देखा तो और क्रोध बढ़ गया। बोले आप कपटी है। आप परम स्वतंत्र हो गए हैं। आप अपने से बड़ा किसी को नहीं मानते। जो मन में आता है वही करते हैं।  नारद जी ने तीन श्राप दिए। पहला श्राप जिस राजकुमार का रूप धारण करके छल किया है। वह शरीर धारण करना पड़ेगा। दूसरा श्राप दिया मैंने कहा अपना स्वरूप दीजिए। अपने वानर बनाया। आप जब मनुष्य बनेंगे तो वह वानर ही सहायता करेंगे। तीसरा श्राप आज विश्व मोहिनी के लिए जैसे मैं रो रहा हूं। अपनी पत्नी के लिए आपको भी रोना पड़ेगा। भगवान ने स्वीकार किया। भगवान ने नारद जी से अपनी माया का प्रभाव हटाया। और जैसे ही भगवान ने माया का पर्दा हटाए। जब हरि माया दूरि निवारी। नहिं तहँ रमा न राजकुमारी॥ नारद जी भगवान के चरणों में प्राणीपात हो गए। प्रभु मैंने आपको श्राप दे दिया। मेरे सारे वचन असत्य हो जाए। भगवान ने कहा आप नारद है। आपके द्वारा कही गई बात रद्द नहीं होगी। आप नारद है, नारद जी ने कहा प्रभु मैंने श्राप दिया है। भगवान कहते हैं, यह मेरी इच्छा थी श्राप लेने की। भगवान ने नारद जी को वरदान दिया, कि आज के बाद मेरी माया आपको कभी नहीं सताएगी। श्री राम जन्म का चौथा कारण सृष्टि के आदि माता-पिता स्वयंभू मनु और माता शतरूपा ने जाकर नैमिषारण्य में कठोर तपस्या की है। 23000 वर्ष तपस्या की भगवान प्रकट हुए। आकाशवाणी हुई। मांगिये क्या वरदान चाहिए। मनु जी ने कहा आपके जैसा पुत्र चाहिए। भगवान ने वरदान दिया। मैं आपके घर पुत्र के रूप में अवतार लूंगा। श्री राम जन्म का पांचवा कारण एक बार प्रताप भानु नाम के राजा के जीवन में एक कपटी मुनि का कुसंग हुआ। प्रताप भानु ने कहा उसे पूरे विश्व पर राज करना है। कपटी मुनि ने कहा, उसके लिए ब्राह्मणों से आशीर्वाद लेना होगा। 1 लाख ब्राह्मण को निमंत्रण दिया। सपरिवार आए, कपटी मुनि ने भोजन बनाया। भोजन के लिए ब्राह्मण संकल्प कर रहे थे। तभी आकाशवाणी हुई, जिस भोजन को आप सभी ग्रहण करने जा रहे हैं। उसमें ब्राह्मण का मांस मिला है। सारे मुनियों ने उसी जल से श्राप दे दिया। सारे कुल परिवार समेत असुर हो जाओ। प्रताप भानु रावण बना। उसका छोटा भाई अहि मर्दन कुंभकरण बना। और प्रताप भानु के मंत्री धर्म रूचि विभीषण बने। रावण दोनों भाइयों को लेकर कठोर तपस्या की। ब्रह्मा जी शंकर जी दोनों वरदान देने गए।

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